कर्मो से नालायक हूँ भजन लिरिक्स
जब भी अकेला पड़ता हूँ,
मेरा श्याम ही साथ निभाता है,
कर्मो से नालायक हूँ,
फिर भी मुझको अपनाता है,
कर्मो से नालायक हूं,
फिर भी मुझको अपनाता है,
Filmi Bhajan तर्ज – रींगस के उस मोड़ पे।
अपनों ने मुझको है गिराया,
श्याम ने आके उठाया है,
श्याम प्रेमी की दी पहचान,
मुहको गले लगाया है,
लाखों अहसान इसने किए है,
फिर भी ये ना जताता है,
कर्मो से नालायक हूं,
फिर भी मुझको अपनाता है,
गिरगिट से पहले देखा है मैंने,
अपनों को बदलते जी,
किया भरोसा श्याम पे मैंने,
साथ साथ मेरे चलते जी,
राहों के कांटो को ये चुनता,
प्रेम के फूल बिछाता है,
कर्मो से नालायक हूं,
फिर भी मुझको अपनाता है,
ये खाटू में दरबार लगाकर,
बैठा खाटू वाला है,
सबकी सुनता सबको देता,
मेरा श्याम निराला है,
बिच भवर में डूब जो जाए,
श्याम ही पार लगाता है,
कर्मो से नालायक हूं,
फिर भी मुझको अपनाता है,
अपना मुझे कहकर सबने,
सरे बाजार लुटाया है,
रिश्तों की जंजीरों से देखो,
कैसा जाल बिछाया है,
धर्म का रिश्ता ‘रागी’ दर्श से,
सच्चा साथ निभाता है,,
कर्मो से नालायक हूं,
फिर भी मुझको अपनाता है,
जब भी अकेला पड़ता हूँ,
मेरा श्याम ही साथ निभाता है,
कर्मो से नालायक हूँ,
फिर भी मुझको अपनाता है,
कर्मो से नालायक हूं,
फिर भी मुझको अपनाता है,
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