मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी भजन लिरिक्स

मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी,
रह जाऊगी सखी,
मैं तो बरसाने झोपड़ी बनाऊगी सखी,
रह जाऊगी सखी.

श्री जी के महलो से रज लेके आउगी,
पिली पोखर का जल भी मिलवाऊगी,
संतो को बुलवा कर मैं नीर धारूगी,
मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी.

झोपड़ी सजेगी मेरी राधा राधा नाम से,
चन्दन मंगाऊगी मैं सखियों के गाव से,
भईया गोकुल आकर कीर्तन करवाउंगी,
मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी..

भजन करुगी सारी रेहन न मैं सोऊगी,
दरवाजा बंद करके जोर से मैं रोऊगी,
दरवाजा बंद करके भाव में मैं रोऊगी,
मेरी चीखे सुनकर के वो रुक नही पाएगी ,
मेरी आहे सुनकर के वो रुक नही पाएगी,
मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी..

आएगी किशोरी जी तो भोग मैं बनाउंगी,
लाडली न रोकेगी मैं चवर धुलाऊगी,
वो शेन में जाएगी मैं चरण दबाऊगी,
वो शेन में जाएगी मैं भाव सुनाऊगी,
मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी..

ढोलकी बजाये हरिदासी बड़े जोर से,
भाव सुने है ब्रिजवासी बड़े गोर से,
मैं मन ही मन इनके चरणन विछ जाऊगी,
मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी,
मैं तो बरसाने कुटियाँ बनाऊगी सखी.

कृष्ण भजन लिरिक्स

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Exit mobile version