manva ram sumir le re Bhajan Lyrics
मनवा राम सुमिर लै रे, नहीं तो रोकग जमदानी,
नहीं तो रोकग जमदानी, नहीं तो रोकग जमदानी,
मनवा राम सुमिर लै रे.
साधु की वाणी सदा सुहानी, ज्यों झिरिया को पाणी रे,
खोजत खोज़त खोज लिया रे, कई हीरा कई कणी,
मनवा राम सुमिर लै रे.
चुन चुन कंकर महल बनाया, वामे भवर लुभानी रे,
आया ईसरा गया पसारा, झुटी अपनी वाणी,
मनवा राम सुमिर लै रे.
मेरी मेरी मत कर बंदे, कलु काल का फेरा रे,
तेरे सिर पर काल फिरत है, जैसे सींग मृग को घेरा,
मनवा राम सुमिर लै रे.
राम नाम का सुमिरन करले, गठरी बांधी तानी रे,
भव सागर से पार उतर जा, नहीं तो जाय नरक की खाणी,
मनवा राम सुमिर लै रे.
कहे जन सिंगा सुनो भाई साधो, यो पद है निर्वाणी रे,
ये पद की कोई करो खोजना, गुरू बोले अमीरस वाणी,
मनवा राम सुमिर लै रे.
डॉ सजन सोलंकी