मुरली और मुकुट में एक दिन छिड़ी अनोखी बात
मुरली और मुकुट में एक दिन छिड़ी अनोखी बात

मुरली और मुकुट में एक दिन छिड़ी अनोखी बात

मुरली और मुकुट में एक दिन छिड़ी अनोखी बात

मुरली और मुकुट में एक दिन,
छिड़ी अनोखी बात,
एक कहे कान्हा संग मेरे,
दूजी कहे मेरे साथ,
भेद कुछ समझ ना आए,
ये दोनों क्यों टकराए।।

Filmi Bhajan तर्ज – स्वर्ग से सुन्दर सपनो से।

मैं सजूँ श्याम के सर पर,
मेरी मोर पंख लहराए,
मैं तो सर का ताज बना हूँ,
तू झूठा शोर मचाए,
अंग अंग मेरा महक उठे,
जब पड़े श्याम के हाथ,
भेद कुछ समझ ना आए,
ये दोनों क्यों टकराए।।

मैं सजूँ श्याम अधरन पे,
जब कान्हा मुझे बजाए,
ये झूमे धरती अम्बर,
और तीनों लोक हरसाए,
राधा के संग नाचे कान्हा,
दिन हो चाहे रात,
भेद कुछ समझ ना आए,
ये दोनों क्यों टकराए।।

सुन कर बातें दोनों की,
गल मालायें मुस्काए,
एक मां के दो हो बेटे,
बोलो किसको बुरा बताए,
‘मोहन सागर’ बात बेतुकी,
क्यों झगड़ों बेबात,
भेद कुछ समझ ना आए,
ये दोनों क्यों टकराए।।

मुरली और मुकुट में एक दिन,
छिड़ी अनोखी बात,
एक कहे कान्हा संग मेरे,
दूजी कहे मेरे साथ,
भेद कुछ समझ ना आए,
ये दोनों क्यों टकराए।।

Bhajan Singer – Mohan Sagar

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