पूछते हो कन्हैया कहाँ हो वो तो जमुना किनारे मिलेंगे भजन
पूछते हो कन्हैया कहाँ हो,
वो तो जमुना किनारे मिलेंगे,
या कदम्ब डाली के बिच बैठे,
अपनी बंशी बजाते मिलेंगे।।
चांदनी रात में जमुना तट पर,
वो तो रास रचाते मिलेंगे,
चांदनी रात में जमुना तट पर,
वो तो रास रचाते मिलेंगे,
वो तो रास रचाते मिलेंगे,
या कोई रूप अपना बदल कर,
राधिका को रीझाते मिलेंगे,
पूछते हों कन्हैया कहाँ है,
वह तो जमुना किनारे मिलेंगे।।
उनको ढूंढो कुरुक्षेत्र में जा,
साथ अर्जुन खड़े होंगे शायद,
उनको ढूंढो कुरुक्षेत्र में जा,
साथ अर्जुन खड़े होंगे शायद,
साथ अर्जुन खड़े होंगे शायद,
ज्ञान गीता का अर्जुन को देकर,
चक्र सुदर्शन विराजे मिलेंगे,
पूछते हों कन्हैया कहाँ है,
वह तो जमुना किनारे मिलेंगे।।
द्रौपदी ने या होगा पुकारा,
चीर खीचता होगा दुशासन,
द्रौपदी ने या होगा पुकारा,
चीर खीचता होगा दुशासन,
चीर खीचता होगा दुशासन,
तब तो निश्चय ही कौरव सभा में,
श्याम साड़ी बढ़ाते मिलेंगे,
पूछते हों कन्हैया कहाँ है,
वह तो जमुना किनारे मिलेंगे।।
पूछते हो कन्हैया कहाँ हो,
वह तो जमुना किनारे मिलेंगे,
या कदम्ब डाली के बिच बैठे,
अपनी बंशी बजाते मिलेंगे।।
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