खामोशियाँ गुनगुनाने लगी – Khamoshiyaan Gungunane Lagi (Lata Mangeshkar, Sonu Nigam, One 2 Ka 4)

खामोशियाँ गुनगुनाने लगी – Khamoshiyaan Gungunane Lagi (Lata Mangeshkar, Sonu Nigam, One 2 Ka 4)
 
Movie/Album: वन २ का ४ (2001)
Music By: ए.आर.रहमान
Lyrics By: महबूब
 By: लता मंगेशकर, सोनू निगम

खामोशियाँ गुनगुनाने लगी
तनहाईयाँ मुस्कुराने लगी
सरगोशी करे हवा, चुपके से मुझे कहा
दिल का हाल बता, दिलबर से ना छुपा
सुन के बात ये, शर्म से मेरी
आँखें झुक जाने लगी
खामोशियाँ गुनगुनाने लगी…

जाग उठा है सपना, किसका मेरी इन आँखों में
एक नयी ज़िन्दगी, शामिल हो रही साँसों में
किसी की आती है, सदा हवाओं में
किसी की बातें हैं, दबी-सी होंठों में
रात-दिन मेरी आँखों में कोई
परछाई लहराने लगी
खामोशियाँ गुनगुनाने लगी…

खामोशियाँ गुनगुनाने लगी
तनहाईयाँ मुस्कुराने लगी
दिल का ये कारवाँ, यूँ ही था रवाँ-रवाँ
मंज़िल न हमसफ़र, लेकिन नये मेहरबां
तेरी वो एक नज़र कर गई असर
दुनिया संवर जाने लगी
खामोशियाँ गुनगुनाने लगी…

बेखयाली में भी, आता है ख्याल तेरा
बेकरारी मेरी, करती है सवाल तेरा
तेरी वफाओं की, उम्मीदें है मुझको
तेरी निगाहों की, पनाह दे मुझको
सुन ऐ हमनशीं, आस ये तेरी
मुझको तड़पाने लगी
खामोशियाँ गुनगुनाने लगी…

शर्म-ओ-हया से कह दो, ख़ुदा-हाफिज़ ओ मेरी जाना
है घड़ी मिलन की, खुदारा लौट के ना आना
रात का पर्दा हमारी ही ख़ातिर
सजे हैं हम भी तो तुम्हारी ही ख़ातिर
जैसे-जैसे तुम पास आते हो
साँसें रुक जाने लगी
खामोशियाँ गुनगुनाने लगी…

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