मैंने दिल से कहा – Maine Dil Se Kaha (K.K., Rog)  
मैंने दिल से कहा – Maine Dil Se Kaha (K.K., Rog)  

मैंने दिल से कहा – Maine Dil Se Kaha (K.K., Rog)  

मैंने दिल से कहा – Maine Dil Se Kaha (K.K., Rog)
 
Movie/Album: रोग (2005)
Music By: एम. एम. कीरावानी
Lyrics By: निलेश मिश्रा
By: के.के.

मैंने दिल से कहा
ढूँढ लाना खुशी
नासमझ लाया ग़म
तो ये ग़म ही सही
मैंने दिल से कहा…

बेचारा कहाँ जानता है
खलिश है ये, क्या खला है
शहर भर की खुशी से
ये दर्द मेरा भला है
जश्न ये रास न आए
मज़ा तो बस ग़म में आया है
मैंने दिल से कहा…

कभी है इश्क का उजाला
कभी है मौत का अँधेरा
बताओ कौन भेस होगा
मैं जोगी बनूँ या लुटेरा
कई चेहरे हैं इस दिल के
न जाने कौन सा मेरा
मैंने दिल से कहा…

हज़ारों ऐसे फासले थे
जो तय करने चले थे
राहें मगर चल पड़ी थीं
और पीछे हम रह गए थे
कदम दो-चार चल पाएँ
किए फेरे तेरे मन के
मैंने दिल से कहा…

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