Kavita Poems in Hindi

Kavita Poems in Hindi | Poetry from lyrics-in-hindi.com

  • हिन्दी की वायरल कविताएं
    सुनो द्राैपदी ! शस्त्र उठा लो/ पुष्यमित्र उपाध्यायKavita/Poem Contentsसुनो द्राैपदी ! शस्त्र उठा लो/ पुष्यमित्र उपाध्यायचेहरे पर तेजाब फेंकने के बाद लड़की ने लड़के से ये कहा… सुनो द्राैपदी ! शस्त्र उठालो अब गोविंद ना आएंगे…छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालोखुद ही अपना चीर बचा लोद्यूत बिछाए बैठे शकुनि,मस्तक सब बिक जाएंगेसुनो द्राैपदी! शस्त्र … Read more
  • नर हो, न निराश करो मन को/मैथिलीशरण गुप्त
    नर हो, न निराश करो मन को/मैथिलीशरण गुप्त कुछ काम करो, कुछ काम करोजग में रह कर कुछ नाम करोयह जन्म हुआ किस अर्थ अहोसमझो जिसमें यह व्यर्थ न होकुछ तो उपयुक्त करो तन कोनर हो, न निराश करो मन को संभलो कि सुयोग न जाय चलाकब व्यर्थ हुआ सदुपाय … Read more
  • हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी- मैथिलीशरण गुप्त
    हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी- मैथिलीशरण गुप्त हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभीआओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहांफैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहांसंपूर्ण देशों से अधिक, … Read more
  • हे भारत के राम जगो आशुतोष राणा | Hey Bharat Ke Ram Jago Ashutosh Rana
    हे भारत के राम जगो आशुतोष राणा | Hey Bharat Ke Ram Jago Ashutosh Rana हे भारत के राम जगो, मैं तुम्हे जगाने आया हूँ,सौ धर्मों का धर्म एक, बलिदान बताने आया हूँ ।सुनो हिमालय कैद हुआ है, दुश्मन की जंजीरों मेंआज बता दो कितना पानी, है भारत के वीरो … Read more
  • Madhushala: Harivansh Rai Bachchan Hindi Poem | हरिवंशराय बच्चन की कविता मधुशाला
    Madhushala: Harivansh Rai Bachchan Hindi Poem | हरिवंशराय बच्चन की कविता मधुशाला मृदु भावों के अंगूरों की आज बना लाया हाला,प्रियतम, अपने ही हाथों से आज पिलाऊँगा प्याला,पहले भोग लगा लूँ तेरा फिर प्रसाद जग पाएगा,सबसे पहले तेरा स्वागत करती मेरी मधुशाला।।१। प्यास तुझे तो, विश्व तपाकर पूर्ण निकालूँगा हाला,एक … Read more
  • अग्निपथ -हरिवंश राय बच्चन | Agnipath- Poem Harivansh Rai Bachchan
    अग्निपथ -हरिवंश राय बच्चन | Agnipath- Poem Harivansh Rai Bachchan वृक्ष हों भले खड़े,हों घने हों बड़े,एक पत्र छाँह भी,माँग मत, माँग मत, माँग मत,अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। तू न थकेगा कभी,तू न रुकेगा कभी,तू न मुड़ेगा कभी,कर शपथ, कर शपथ, कर शपथ,अग्निपथ अग्निपथ अग्निपथ। यह महान दृश्य है,चल रहा मनुष्य … Read more
  • जो बीत गई सो बात गई-हरिवंशराय बच्चन
    जो बीत गई सो बात गई-हरिवंशराय बच्चन जो बीत गई सो बात गई जीवन में एक सितारा थामाना वह बेहद प्यारा थावह डूब गया तो डूब गयाअम्बर के आनन को देखोकितने इसके तारे टूटेकितने इसके प्यारे छूटेजो छूट गए फिर कहाँ मिलेपर बोलो टूटे तारों परकब अम्बर शोक मनाता हैजो … Read more
  • है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है-हरिवंशराय बच्चन
    है अँधेरी रात पर दीवा जलाना कब मना है-हरिवंशराय बच्चन कल्पना के हाथ से कमनीय जो मंदिर बना थाभावना के हाथ ने जिसमें वितानों को तना था स्वप्न ने अपने करों से था जिसे रुचि से सँवारास्वर्ग के दुष्प्राप्य रंगों से, रसों से जो सना थाढह गया वह तो जुटाकर … Read more
  • यात्रा और यात्री-हरिवंश राय बच्चन
    यात्रा और यात्री-हरिवंश राय बच्चन साँस चलती है तुझेचलना पड़ेगा ही मुसाफिर! चल रहा है तारकों कादल गगन में गीत गाताचल रहा आकाश भी हैशून्य में भ्रमता-भ्रमाता पाँव के नीचे पड़ीअचला नहीं, यह चंचला है एक कण भी, एक क्षण भीएक थल पर टिक न पाता शक्तियाँ गति की तुझेसब … Read more
  • मेहनत की लूट-अवतार सिंह ‘पाश’
    मेहनत की लूट-अवतार सिंह ‘पाश’ मेहनत की लूट सबसे खतरनाक नहीं होतीपुलिस की मार सबसे खतरनाक नहीं होतीगद्दारी और लोभ की मुट्ठी सबसे खतरनाक नहीं होती बैठे-बिठाए पकड़े जाना, बुरा तो हैसहमी-सी चुप में जकड़े जाना, बुरा तो हैपर सबसे खतरनाक नहीं होता कपट के शोर मेंसही होते हुए भी … Read more
  • रामधारी सिंह ‘दिनकर’-सिंहासन खाली करो कि जनता आती है
    रामधारी सिंह ‘दिनकर’-सिंहासन खाली करो कि जनता आती है सदियों की ठण्डी-बुझी राख सुगबुगा उठी,मिट्टी सोने का ताज पहन इठलाती है;दो राह, समय के रथ का घर्घर-नाद सुनो,सिंहासन खाली करो कि जनता आती है । जनता ? हाँ, मिट्टी की अबोध मूरतें वही,जाड़े-पाले की कसक सदा सहनेवाली,जब अँग-अँग में लगे … Read more
  • मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है-रामधारी सिंह दिनकर 
    मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है-रामधारी सिंह दिनकर  सच है, विपत्ति जब आती है,कायर को ही दहलाती है,शूरमा नहीं विचलित होते,क्षण एक नहीं धीरज खोते,विघ्नों को गले लगाते हैं,काँटों में राह बनाते हैं। मुख से न कभी उफ कहते हैं,संकट का चरण न गहते हैं,जो आ … Read more
  • किसको नमन करूँ मैं भारत?- रामधारी सिंह दिनकर
    किसको नमन करूँ मैं भारत?- रामधारी सिंह दिनकर तुझको या तेरे नदीश, गिरि, वन को नमन करूँ, मैं ?मेरे प्यारे देश ! देह या मन को नमन करूँ मैं ?किसको नमन करूँ मैं भारत ? किसको नमन करूँ मैं ? भू के मानचित्र पर अंकित त्रिभुज, यही क्या तू है … Read more
  • रश्मीरथी प्रथम सर्ग -रामधारी सिंह दिनकर 
    रश्मीरथी प्रथम सर्ग -रामधारी सिंह दिनकर  जय हो’ जग में जले जहाँ भी, नमन पुनीत अनल को,जिस नर में भी बसे, हमारा नमन तेज को, बल को।किसी वृन्त पर खिले विपिन में, पर, नमस्य है फूल,सुधी खोजते नहीं, गुणों का आदि, शक्ति का मूल।ऊँच-नीच का भेद न माने, वही श्रेष्ठ … Read more
  • आग की भीख- रामधारी सिंह दिनकर
    आग की भीख- रामधारी सिंह दिनकर धुँधली हुई दिशाएँ, छाने लगा कुहासाकुचली हुई शिखा से आने लगा धुआँसाकोई मुझे बता दे, क्या आज हो रहा हैमुंह को छिपा तिमिर में क्यों तेज सो रहा हैदाता पुकार मेरी, संदीप्ति को जिला देबुझती हुई शिखा को संजीवनी पिला देप्यारे स्वदेश के हित … Read more
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