हम लोगों को समझ सको तो समझो दिलबर जानी
जितना भी तुम समझोगे उतनी होगी हैरानी
अपनी छतरी तुमको दे दें कभी जो बरसे पानी
कभी नए packetमें बेचें तुमको चीज़ पुरानी
फिर भी दिल है हिन्दुस्तानी
नींद उड़ रही है …
थोड़े अनाड़ी हैं थोड़े खिलाड़ी
रुक रुक के चलती है अपनी गाड़ी
हमें प्यार चाहिए और कुछ पैसे भी
हम ऐसे भी हैं हम हैं वैसे भी
हम लोगों को समझ सको तो समझो दिलबर जानी
उल्टी सीधी जैसी भी है अपनी यही कहानी
थोड़ी हममें होशियारी है थोड़ी है नादानी
थोड़ी हममें सच्चाई है थोड़ी बेईमानी
फिर भी दिल है …
आँखों में कुछ आँसू हैं कुछ सपने हैं
आँसू और सपने दोनों ही अपने हैं
दिल दुखा है लेकिन टूटा तो नहीं है
उम्मीद का दामन छूटा तो नहीं है
हम लोगों को समझ सको तो समझो दिलबर जानी
थोड़ी मजबूरी है लेकिन थोड़ी है मनमानी
थोड़ी तू तू मैं मैं है और थोड़ी खींचातानी
हममें काफ़ी बातें हैं जो लगती हैं दीवानी
फिर भी दिल है …