रुत या सावन की आई झूलन पधारो कान्हा बाग में
रुत या सावन की आई,
राधा झूलो घलवाई,
झूलन पधारो कान्हा बाग में,
ओ कान्हा,
झूलन पधारो कान्हा बाग में,
Filmi Bhajan तर्ज – ग्यारस चान्दण की आई।
मलियागरी को कान्हा,
पलणों बणवायो हो,
पलणों बणवायो,
डोरी रेशम री गुंथी,
हिण्डो घलवायो हो,
हिण्डो घलवायो,
रुक्मण सत्यभामा आई,
झूलन ने कृष्ण कन्हाई,
इब तो पधारो कान्हा बाग में,
बिजली कड़के बादल में,
सावन यो बरसे हो,
सावन यो बरसे,
थारे सु मिलवा पाणी,
आँखड़ली बरसे हो,
आँखड़ली बरसे,
भीजे चुनरिया म्हारी,
पायल बिछिया भी सारी,
इब तो पधारो कान्हा बाग में,
काजल टिकी हाथां में,
मेहँदी रचाई हो,
मेहँदी रचाई,
गोरी बईयां में हरी हरी,
चूड़ी पहराई हो,
चूड़ी पहराई,
खिल रही देखो फुलवारी,
चंपा चमेली प्यारी,
इब तो पधारो कान्हा बाग में,
हेलो सुणकर राधा को,
कानूड़ो आयो हो,
कानूड़ो आयो,
झूले झुलावे मोहन,
रास रचायो हो,
रास रचायो,
झूले वृन्दावन सारो,
करके सरिता मन म्हारो,
बेगा पधार्या कान्हा बाग में,
रुत या सावन की आई,
राधा झूलो घलवाई,
झूलन पधारो कान्हा बाग में,
ओ कान्हा,
झूलन पधारो कान्हा बाग में,
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