एक हरि को छोड़ किसी की चलती नहीं है मनमानी भजन लिरिक्स
एक हरि को छोड़ किसी की,चलती नहीं है मनमानी,चलती नही है मनमानी लंकापति रावण योद्धा ने,सीता जी का हरण किया,इक लख पूत सवालख नाती,खोकर कुल का नाश किया,धान भरी वो सोने की लंका,हो गई पल मे कूल्धानि,एक हरि को छोड़ किसी की,चलती नही है मनमानी मथुरा के उस कंस राजा ने,बहन देवकी को त्रास दिया,सारे …