चण्डी है महाकाली
कालीका खप्पर वाली
खप्पर वाली मैया
खप्पर वाली
रूप धरी रे विकराल
कालीका खप्पर वाली।।
खून से अपना खप्पर भरने
चली दुष्टो से माँ वध करने
लेके खडग विशाल
कालीका खप्पर वाली।।
भरली नेत्र में क्रोध की ज्याला
डाल गले मुंडो की माला
बिखराये है बाल
कालीका खप्पर वाली।।
रूप धरी कालीका रण में
मारी रक्तबीज को क्षण में
की पापी को निहाल
कालीका खप्पर वाली।।
अष्ट भुजी है मात भवानी
सीता उमा है जगकल्याणी
काटे मायाजाल
कालीका खप्पर वाली।।
चण्डी है महाकाली
कालीका खप्पर वाली
खप्पर वाली मैया
खप्पर वाली
रूप धरी रे विकराल
कालीका खप्पर वाली।।
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गायक – Avinash Jhankar
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