तरस रही है तेरे दरस को कबसे मेरी नजरिया भजन लिरिक्स

तरस रही है तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया माँ
कबसे मेरी नजरिया
ओ शेरावाली ओ जोतावाली
अब तो ले ले खबरिया
तरस रही हैं तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया।।

तेरे दर जो आए सवाली
भर दी झोली जाए ना खाली
आओ माँ मेरे सर से उतारो
आओ माँ मेरे सर से उतारो
पापों की भारी गठरिया
तरस रही हैं तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया।।

तू ही है ज्वाला तू ही है काली
भक्तो की मैया सदा रखवाली
दर दर भटके तेरे दरश को
दर दर भटके तेरे दरश को
भूली राह डगरिया
तरस रही हैं तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया।।

‘भक्तो जी मंडल’ तेरा पुजारी
घर घर में ज्योत जगाए तुम्हारी
तेरा ही गुणगान करे माँ
तेरा ही गुणगान करे माँ
‘लख्खा’ हर एक नगरीया
तरस रही हैं तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया।।

तरस रही है तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया माँ
कबसे मेरी नजरिया
ओ शेरावाली ओ जोतावाली
अब तो ले ले खबरिया
तरस रही हैं तेरे दरस को
कबसे मेरी नजरिया।।

गायक – Lakhbir Singh Lakkha Ji

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