।। दोहा ।। जय गणेश मंगल करण ।

।। दोहा ।।
जय गणेश मंगल करण ।
भरण जनम सुख साज ।।
दीन जानी किजै दया ।
हम पर श्री महाराज ।।
।। चौपाई ।।
जय गणपति जय जय शिवनंदन ।
जय जय जन जन कलुष निकंदन ।।
जय लंबोदर विघ्न विनाशन ।
जयति सुमुख विज्ञान विकासन ।।
जय जय कपिल जयति एक दंता ।
जपत जाहि नित सब सुर संता ।।
जय जय भाल चंद्र अति पावन ।
जय जग करण सकल मनभावन ।।
जयति विकट जय जयति विनायक ।
जय सुर वंदित भाग्य विधायक ।।
श्री गेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
जय जय धूम्रकेतु असुरारी ।
जय गजमुख त्रैलोक विहारी ।।
द्वादश नाम जपे जो कोई ।
ताहि निरंतर मंगल होई ।।
रिद्धि सिद्धि दोउ चंवर डुलावें ।
महिमा अमित पार वो पावे ।।
लक्ष्य लाभ दोउ तनय सुहाये ।
मुदित होत जग जात है पाये ।।
जय गजबदन सदन सुखदाता ।
विश्व विनायक बुद्धि विधाता ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
एक समय शिव ऋषि तरी धारी ।
पार्वती कहे दीननकारी ।।
किसकिंधा गिरि गिरिजा गई ।
तहं तुमको प्रगटावत भई ।।
द्वारपाल तहां तुम्ही बनाई ।
आप गुफा विच ध्यान लगाई ।।
कछुक दिवस बिते पर शंकर ।
भये शांत भोले अभयंकर ।।
खोजत गिरिजाहि तहां चली आये ।
रक्षक द्वार तुमहि तहं पाये ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
शिव प्रविशन चहं गुफा मझारी ।
जय गज मुख त्रिलोक विहारि ।।
कोपि शंभू तहं युद्ध मचावा ।
धड़ से सर तब काट गिरावा ।।
शिव प्रार्थना सुनी शिव तोसे ।
करी सिर जोड़त महि पुनि पोसे ।।
एक समय गणपति यह हेतु ।
सुलभ सुनाई कहे बस केतु ।।
महि परिक्रमा करिके जो आवे ।
सो गणेश की पद्धवि पावे ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
सुनि मयूर चढ़ि चले कुमारा ।
तब तुम यह नीज मन हि विचारा ।।
मातु पिता परिकर जो लवे ।
यही परिक्रमा फल सो पावे ।।
यह मन सोच परत तोहिं ठाई ।
गई परिक्रमा शिव गिरजाई ।।
बुद्धिमान लखी सब सुर हरषे ।
तुमहि सराही सुमन बहु अरसे ।।
सुर सम्मति हे तबहिं महेशा ।
तुमहि बनाये वेगी गणेशा ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
आदि कल्प में सृष्टि प्रसारन ।
हित इच्छा किन्हेउ जग तारण ।।
मुनि देखहु हरि नयन उघारी ।
सकल जगत मे है अंधियारी ।।
तब हरि धरेउ गणेश स्वरूपा ।
गजमुख लंबोदर सुर भूपा ।।
दीर्घ सूंड सो सब अंधियारी ।
पेंच लपेटहु गर में डारी ।।
तब ते जगत पुज्य प्रभु भयउ ।
आदि गणेश कहावत भयउ ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
महिमा नाथ कहां लगी गाऊँ ।
तब यशवर्णत पार ना पाऊँ ।।
जय जग वंदन विद्या सागर ।
जय मोदक प्रिय सब गुण आगर ।।
कहां लगी कहु बदन की शोभा ।
मुनि मन जाहि विलोकत लोभा ।।
लाल वरण दोउ चरण सुहावन ।
अमित अधिक जो किनेउ पावन ।।
नाग यज्ञ उप बीत सुहावे ।
दीन नयन लखी अरि दुःख पावे ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
अक्षमाल निज तंत दक्ष कर ।
मोदक पात्र परस बायें धर ।।
पद्मासम मुसक असवारी ।
सोहत त्रिविध ताप भये हारी ।।
जय जय देव सुजन मन रंजन ।
जय जय सुरदिज महि दुःख भंजन।।
जय जय सुर गिरिजा के नंदन ।
जय जय जयति भक्त उर चंदन ।।
जय जय अग्र पुज शुभ धामा ।
सुमिरत सिद्ध होई सब कामा ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
जय जय व्यास सहायक स्वमी ।
कृपा करहु उर अंतर्यामी ।।
जय जय जय पितांबरधारी ।
शुक्लांबर धरि जय अगहारी ।।
जयति रत्र अंबर परिधानम् ।
विघ्न विमोचन मोद निधानम् ।।
शेभु जलंधर यद्ध मचावा ।
तहाँ आप निज बल ही दिखावा ।।
अगनित दैत्य निमिस में मारे ।
भागे बचे रहे अधमारे ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
हे प्रभु दीन बंधु अविनाशी ।
करहुँ कृपा त्रैलोक विलासी ।।
जप तप पुजा पाठ अचारा ।
नहीं जानत मति मंद गंवारा ।।
नहीं विज्ञान ग्रंथ मत जानों ।
केवल तब भरोस उर मानों ।।
भूल चूक जो होई हमारो ।
क्षमिय नाथ मैं दास तिहारो ।।
लहि मोह पह बल बुद्धि लवलेसा ।
सब बल निर्भय रहत हमेशा ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
नाथ आप हो बुद्धि विधाता ।
अति आतुर दुःख करहु नी पाता ।।
जो जन तुम्हरो ध्यान लगावें ।
सो अभिमत फल वेग ही पावें ।।
नाथ मोहि बहु दुष्ट सतावे ।
शुभ का मन में विघ्न मचावे ।।
इनकर नाश वेग ही किजै ।
महाराज मम विनय सुनिजे ।।
तुम ही आन गिरिजा शंकर की ।
विपत्ति हटाओ जन के घर की ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
जो यह पढ़े गणेश चालीसा ।
ताकहँ सिद्धि होई सिद्धिसा ।।
जो व्रत चौथ करे मन लाई ।
ता पर गणपति होई सहाई ।।
निर्जल व्रत दिन भर जो करई ।
चंद्रोदये पुजा अनुसरई ।।
यथा शक्ति पुजे धरि ध्याना ।
गणपति छोड़ि भजे नहीं आना ।।
आकर कारज सकल संवारे ।
सत्य सत्य सुती संत पुकारे ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
चौथ परम प्यारी गणराजहि ।
कामह चार मुख्य करि भाजहि ।।
संकट चौथ को पुजि गणेशा ।
पुजिये पाद विनायक ईसा ।।
सिद्धिविनायक चौथ काहावे ।
जासु कृपा जन अभिमत पावे ।।
श्रावण शुक्ल चतुर्थी आवे ।
तब व्रत को आरंभ लगावे ।।
एक बार करी सात्विक स्नाना ।
रहे सनियम तजे सब व्यसना ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
पुजे नित्य कपर दी गणेशा ।
ताके पाप रहे नहीं लेसा ।।
भाद्र शुक्ल की चौथ सुहावन ।
व्रत समाप्त तेहि दिन करी पावन ।।
द्ववादश नाम पाठ नित करई ।
मन वच कर्म ध्यान नित धरई ।। ६८
विद्याआरम्भ विवाह मझाहिं ।
पुनि प्रवेश यात्रा सुखकारी ।।
संकट तथा विकट संग्रामा ।
विघ्न होई नहीं कोनउ कामा ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
सत्य सत्य नहीं संशय भाई ।
गणपति कृपा सुमन अग माई ।।
है अबोध जन रसिक विहारी ।
जागत सोवत शरण तुम्हारी ।।
अक्षर पदयात्रा स्वर भंगा ।
क्षमहुं पाठ के विकरत अंगा ।।
तब प्रसाद पुरन सब होई ।
है मरजाद नाम की सोई ।।
वंदउ नाथ जुगल कर जोरी ।
सुन लिजै प्रभु अरजी मोरी ।।
श्री गणेशाय नमः
श्री लंबोदराय नमः
श्री विघ्नेशाय नमः
श्री एक दंताय नमः
श्री गणेशाय नमः
।। दोहा ।।
निश्चय दृढ़ विश्वास करी ।
श्रवण करे मन लाये ।।
ताके ऊपर शंभू सुत ।
गणपति होय सहाय ।।

 

 

doha
jay ganesh mangal karan
bharan janam sukh saaj
deen jaani kijai dayaa
ham par shri mahaaraaj
chaupaaee
jay ganapati jay jay shivanandan
jay jay jan jan kalush nikandan
jay lanbodar vighn vinaashan
jayati sumukh vigyaan vikaasan
jay jay kapil jayati ek dantaa
japat jaahi nit sab sur santaa
jay jay bhaal chandr ati paavan
jay jag karan sakal manbhaavan
jayati vikat jay jayati vinaayak
jay sur vandit bhaagy vidhaayak
shri geshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
jay jay dhoomraketu asuraaree
jay gajamukh trailok vihaaree
dvaadsh naam jape jo koee
taahi nirantar mangal hoee
riddhi siddhi dou chanvar dulaaven
mahima amit paar vo paave
lakshy laabh dou tanay suhaaye
mudit hot jag jaat hai paaye
jay gajabadan sadan sukhadaataa
vishv vinaayak buddhi vidhaataa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
ek samay shiv rishi tari dhaaree
paarvati kahe deenanakaaree
kisakindha giri girija gee
tahan tumako pragataavat bhee
dvaarapaal tahaan tumhi banaaee
aap gupha vich dhayaan lagaaee
kchhuk divas bite par shankar
bhaye shaant bhole abhayankar
khojat girijaahi tahaan chali aaye
rakshk dvaar tumahi tahan paaye
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
shiv pravishan chahan gupha mjhaaree
jay gaj mukh trilok vihaari
kopi shanbhoo tahan yuddh mchaavaa
dhad se sar tab kaat giraavaa
shiv praarthana suni shiv tose
kari sir jodat mahi puni pose
ek samay ganapati yah hetu
sulbh sunaai kahe bas ketu
mahi parikrama karike jo aave
so ganesh ki paddhavi paave
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
suni mayoor chadahi chale kumaaraa
tab tum yah neej man hi vichaaraa
maatu pita parikar jo lave
yahi parikrama phal so paave
yah man soch parat tohin thaaee
gi parikrama shiv girajaaee
buddhimaan lkhi sab sur harshe
tumahi saraahi suman bahu arase
sur sammati he tabahin maheshaa
tumahi banaaye vegi ganeshaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
aadi kalp me sarashti prasaaran
hit ichchha kinheu jag taaran
muni dekhahu hari nayan ughaaree
sakal jagat me hai andhiyaaree
tab hari dhareu ganesh svaroopaa
gajamukh lanbodar sur bhoopaa
deergh soond so sab andhiyaaree
pench lapetahu gar me daaree
tab te jagat pujy prbhu bhayu
aadi ganesh kahaavat bhayu
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
mahima naath kahaan lagi gaaoon
tab yshavarnat paar na paaoon
jay jag vandan vidya saagar
jay modak priy sab gun aagar
kahaan lagi kahu badan ki shobhaa
muni man jaahi vilokat lobhaa
laal varan dou charan suhaavan
amit adhik jo kineu paavan
naag yagy up beet suhaave
deen nayan lkhi ari duhkh paave
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
akshmaal nij tant daksh kar
modak paatr paras baayen dhar
padmaasam musak asavaaree
sohat trividh taap bhaye haaree
jay jay dev sujan man ranjan
jay jay suradij mahi duhkh bhanjan
jay jay sur girija ke nandan
jay jay jayati bhakt ur chandan
jay jay agr puj shubh dhaamaa
sumirat siddh hoi sab kaamaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
jay jay vyaas sahaayak svamee
kripa karahu ur antaryaamee
jay jay jay pitaanbardhaaree
shuklaanbar dhari jay agahaaree
jayati ratr anbar paridhaanam
vighn vimochan mod nidhaanam
shebhu jalandhar yaddh mchaavaa
tahaan aap nij bal hi dikhaavaa
aganit daity nimis me maare
bhaage bche rahe adhamaare
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
he prbhu deen bandhu avinaashee
karahun kripa trailok vilaasee
jap tap puja paath achaaraa
nahi jaanat mati mand ganvaaraa
nahi vigyaan granth mat jaanon
keval tab bharos ur maanon
bhool chook jo hoi hamaaro
kshmiy naath maindaas tihaaro
lahi moh pah bal buddhi lavalesaa
sab bal nirbhay rahat hameshaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
naath aap ho buddhi vidhaataa
ati aatur duhkh karahu ni paataa
jo jan tumharo dhayaan lagaaven
so abhimat phal veg hi paaven
naath mohi bahu dusht sataave
shubh ka man me vighn mchaave
inakar naash veg hi kijai
mahaaraaj mam vinay sunije
tum hi aan girija shankar kee
vipatti hataao jan ke ghar kee
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
jo yah padahe ganesh chaaleesaa
taakahan siddhi hoi siddhisaa
jo vrat chauth kare man laaee
ta par ganapati hoi sahaaee
nirjal vrat din bhar jo karee
chandrodaye puja anusaree
ytha shakti puje dhari dhayaanaa
ganapati chhodi bhaje nahi aanaa
aakar kaaraj sakal sanvaare
saty saty suti sant pukaare
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
chauth param pyaari ganaraajahi
kaamah chaar mukhy kari bhaajahi
sankat chauth ko puji ganeshaa
pujiye paad vinaayak eesaa
siddhivinaayak chauth kaahaave
jaasu kripa jan abhimat paave
shraavan shukl chaturthi aave
tab vrat ko aaranbh lagaave
ek baar kari saatvik snaanaa
rahe saniyam taje sab vyasanaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
puje nity kapar di ganeshaa
taake paap rahe nahi lesaa
bhaadr shukl ki chauth suhaavan
vrat samaapt tehi din kari paavan
dvavaadsh naam paath nit karee
man vch karm dhayaan nit dhari 68
vidyaaaarambh vivaah mjhaahin
puni pravesh yaatra sukhakaaree
sankat ttha vikat sangramaa
vighn hoi nahi konu kaamaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
saty saty nahi sanshay bhaaee
ganapati kripa suman ag maaee
hai abodh jan rasik vihaaree
jaagat sovat sharan tumhaaree
akshr padayaatra svar bhangaa
kshmahun paath ke vikarat angaa
tab prasaad puran sab hoee
hai marajaad naam ki soee
vandu naath jugal kar joree
sun lijai prbhu araji moree
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
dohaa
nishchay daradah vishvaas karee
shrvan kare man laaye
taake oopar shanbhoo sut
ganapati hoy sahaay
doha
jay ganesh mangal karan
bharan janam sukh saaj
deen jaani kijai dayaa
ham par shri mahaaraaj
chaupaaee
jay ganapati jay jay shivanandan
jay jay jan jan kalush nikandan
jay lanbodar vighn vinaashan
jayati sumukh vigyaan vikaasan
jay jay kapil jayati ek dantaa
japat jaahi nit sab sur santaa
jay jay bhaal chandr ati paavan
jay jag karan sakal manbhaavan
jayati vikat jay jayati vinaayak
jay sur vandit bhaagy vidhaayak
shri geshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
jay jay dhoomraketu asuraaree
jay gajamukh trailok vihaaree
dvaadsh naam jape jo koee
taahi nirantar mangal hoee
riddhi siddhi dou chanvar dulaaven
mahima amit paar vo paave
lakshy laabh dou tanay suhaaye
mudit hot jag jaat hai paaye
jay gajabadan sadan sukhadaataa
vishv vinaayak buddhi vidhaataa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
ek samay shiv rishi tari dhaaree
paarvati kahe deenanakaaree
kisakindha giri girija gee
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dvaarapaal tahaan tumhi banaaee
aap gupha vich dhayaan lagaaee
kchhuk divas bite par shankar
bhaye shaant bhole abhayankar
khojat girijaahi tahaan chali aaye
rakshk dvaar tumahi tahan paaye
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
shiv pravishan chahan gupha mjhaaree
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shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
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tumahi saraahi suman bahu arase
sur sammati he tabahin maheshaa
tumahi banaaye vegi ganeshaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
aadi kalp me sarashti prasaaran
hit ichchha kinheu jag taaran
muni dekhahu hari nayan ughaaree
sakal jagat me hai andhiyaaree
tab hari dhareu ganesh svaroopaa
gajamukh lanbodar sur bhoopaa
deergh soond so sab andhiyaaree
pench lapetahu gar me daaree
tab te jagat pujy prbhu bhayu
aadi ganesh kahaavat bhayu
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
mahima naath kahaan lagi gaaoon
tab yshavarnat paar na paaoon
jay jag vandan vidya saagar
jay modak priy sab gun aagar
kahaan lagi kahu badan ki shobhaa
muni man jaahi vilokat lobhaa
laal varan dou charan suhaavan
amit adhik jo kineu paavan
naag yagy up beet suhaave
deen nayan lkhi ari duhkh paave
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
akshmaal nij tant daksh kar
modak paatr paras baayen dhar
padmaasam musak asavaaree
sohat trividh taap bhaye haaree
jay jay dev sujan man ranjan
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jay jay jayati bhakt ur chandan
jay jay agr puj shubh dhaamaa
sumirat siddh hoi sab kaamaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
jay jay vyaas sahaayak svamee
kripa karahu ur antaryaamee
jay jay jay pitaanbardhaaree
shuklaanbar dhari jay agahaaree
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tahaan aap nij bal hi dikhaavaa
aganit daity nimis me maare
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shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
he prbhu deen bandhu avinaashee
karahun kripa trailok vilaasee
jap tap puja paath achaaraa
nahi jaanat mati mand ganvaaraa
nahi vigyaan granth mat jaanon
keval tab bharos ur maanon
bhool chook jo hoi hamaaro
kshmiy naath maindaas tihaaro
lahi moh pah bal buddhi lavalesaa
sab bal nirbhay rahat hameshaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
naath aap ho buddhi vidhaataa
ati aatur duhkh karahu ni paataa
jo jan tumharo dhayaan lagaaven
so abhimat phal veg hi paaven
naath mohi bahu dusht sataave
shubh ka man me vighn mchaave
inakar naash veg hi kijai
mahaaraaj mam vinay sunije
tum hi aan girija shankar kee
vipatti hataao jan ke ghar kee
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
jo yah padahe ganesh chaaleesaa
taakahan siddhi hoi siddhisaa
jo vrat chauth kare man laaee
ta par ganapati hoi sahaaee
nirjal vrat din bhar jo karee
chandrodaye puja anusaree
ytha shakti puje dhari dhayaanaa
ganapati chhodi bhaje nahi aanaa
aakar kaaraj sakal sanvaare
saty saty suti sant pukaare
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
chauth param pyaari ganaraajahi
kaamah chaar mukhy kari bhaajahi
sankat chauth ko puji ganeshaa
pujiye paad vinaayak eesaa
siddhivinaayak chauth kaahaave
jaasu kripa jan abhimat paave
shraavan shukl chaturthi aave
tab vrat ko aaranbh lagaave
ek baar kari saatvik snaanaa
rahe saniyam taje sab vyasanaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
puje nity kapar di ganeshaa
taake paap rahe nahi lesaa
bhaadr shukl ki chauth suhaavan
vrat samaapt tehi din kari paavan
dvavaadsh naam paath nit karee
man vch karm dhayaan nit dhari 68
vidyaaaarambh vivaah mjhaahin
puni pravesh yaatra sukhakaaree
sankat ttha vikat sangramaa
vighn hoi nahi konu kaamaa
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
saty saty nahi sanshay bhaaee
ganapati kripa suman ag maaee
hai abodh jan rasik vihaaree
jaagat sovat sharan tumhaaree
akshr padayaatra svar bhangaa
kshmahun paath ke vikarat angaa
tab prasaad puran sab hoee
hai marajaad naam ki soee
vandu naath jugal kar joree
sun lijai prbhu araji moree
shri ganeshaay namah
shri lanbodaraay namah
shri vighneshaay namah
shri ek dantaay namah
shri ganeshaay namah
dohaa
nishchay daradah vishvaas karee
shrvan kare man laaye
taake oopar shanbhoo sut
ganapati hoy sahaay

 

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