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धुन – पुरवा सुहानी आई रे  – पूरवा….. Radha Krishna Bhajan

धुन – पुरवा सुहानी आई रे  – पूरवा….. Radha Krishna Bhajan

श्यामा झूलन आई जी….. श्यामा ।
संग सखियाँ आई, मन खुशियाँ छाई ।।

ऋतु सावन की ये आई जी…..श्यामा …   श्यामा श्याम झूला, झूले संग संग में ।
दोंनो हुए हर्षित, मुदित मन – मन में ।
गल बैयाँ दीन्ही डारी, छबि पे जाऊं बारी बारी ।।

ऋतु सावन की ये आई जी…..श्यामा…   सखिया देवे जोटा, मुकुट झोला खाए ।
पीताम्बर  के संग – संग, चुनर लिपटाए ।
भोरी सी सुरतिया है, वारी सी उमरिया है ।।

ऋतु सावन की ये आई जी…..श्यामा…   रिमझिम रिमझिम बरसे है, बादरिया कारी ।
कोयल मीठी कूके है, अमुआ की डारी ।
सखिया गीत सुनाये है, ग्वाले ढोल बजाये है ।।
दास, चरणन पे बलि जाई जी…..श्यामा

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