काछबो ने काछबी रेता रे जल में भजन लिरिक्स

अरे काछबो ने काछबी रेता रे जल में
लेता हरी रो नाम।
भक्ति कारण बाहर आया।
किना संतो ने प्रणाम।
संतो रे चरने पड़िया जी।
जटक जोली में धरिया जी।
तड़प मत काछबकुडी ओ।
सांवरिया री लीला रूडी ओ।

भक्ति रो भेद ने पायो जी।
सांवरो लेट आयो जी।

पकड़ संतो हांड़ी माय धारिया,
तले रे लगाई आग।
केवे काछबी सुन रे काछबा।
थारो हरी बतावे कटे ,
थारो सालक पानी रे।
मोत की आयी निसानी रे।
तड़प मत काछबकुडी ओ।
सांवरिया री लीला रूडी ओ।

ऊबी बळु रे आडी बळु रे ,
मिल गई चारु जाल।
एजे नहीं सांवरो आवियो रे ।
मारो प्राण निकल्यो जाय।
कठे थारो मोहन प्यारो रे।
मीठी मुरली वालो रे।
तड़प मत काछबकुडी ओ।
सांवरिया री लीला रूडी ओ।

बळती वे तो बैठ पीठ पर,
राखु थारो प्राण ।
निंद्रा मत कर मारे नाथ री।
राखु थारो प्राण।
हरी मारो आसी वालो रे।
जीवा ने तार हसारू रे।
तड़प मत काछबकुडी ओ।
सांवरिया री लीला रूडी ओ।

काची नींद में सुते रे सांवरो ,
मोड़ी सुनी रे पुकार।
बळती अगन ने उतार दिया जी।
काछब ने किरतार
वाणी भोजो जी गावे रे ,
टीकम दा राय बतावे रे।
तड़प मत काछबकुडी ओ।
सांवरिया री लीला रूडी ओ।

काछबो ने काछबी रेता रे जल में भजन kachbo ne kachbi bhajan, prakash mali bhajan

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