।। दोहा ।।
ओ हनुमान विराजियो , कथा कहूँ चित लाय ।
तुम पायक श्रीराम के , हम चरणों के दास ।
लाल लंगोटो , हाथ में घोटो ,
थांने सिंवरा पवन कुमार ,
बजरंग बालाजी ।
म्हारा विघन हरो नी महाराज ,
बजरंग बालाजी ।
माता अंजनी रा ,
पुत्र कहिजो , बाला ।
थे तो राम जी रा कहि जो दास ,
बजरंग बालाजी ।।
थांने सिंवरा पवन । …..
लंका जारि सिया ,
सुधि लाये , बाला ।
थे तो राम जी रा सारिया काज ,
बजरंग बालाजी ।
थांने सिंवरा पवन । …..
तेल सिन्दूर थारे ,
अंग चढे ओ , बाला ।
बाबा मंगळ ने शनिवार ,
बजरंग बालाजी ।।
थांने सिंवरा पवन । …..
सालासर में थांरो ,
धाम कहिजे , बाला ।
थारी धजा फरूखे असमान ,
बजरंग बालाजी ।।
थांने सिंवरा पवन । …..
चैन सिंह चरणों ,
रो चाकर , बाला ।
म्हाने देवो भगती रो वरदान ,
बजरंग बालाजी ।
थांने सिंवरा पवन । …..
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