।। दोहा ।।
जिण घर हरि कीर्तन नहीं , नहीं संत मेहमान।
उण घर जमड़ा दे गया , जीवत धुके मसाण।
बनजारी ये हँस हँस बोल ,
प्यारी प्यारी बोल।
बाता थारी रह झासी रे।
मने परायी मत जाण ,
बाता थारी रह जासी।
कंठी माला काठ की रे ,
ज्यामे रेशम सूत।
सूत बिचारा क्या करे ,
ज्याने कटाण वाला कबूत।
बाता थारी रह जासी।
बनजारी ये…….
रामा थारे बाग़ में रे ,
लाम्बा पेड़ खजूर।
चढ़े तो पाँव फिसरे ,
पडे तो चकना चूर।
बाता थारी रह जासी।
बनजारी ये…….
जैसे चूड़ी कांच की रे ,
वैसे नर संग देह।
ओ जतन करा दू साव जी ,
थोड़ो हरी भजना में रेह।
बाता थारी रह जासी।
बनजारी ये…….
पत्ता टुटा डाल से रे ,
ले गई पवन उड़ाई।
अब के बिछड़े ना मिले रे ,
दूर पड़े रे जाय।
बाता थारी रह जासी।
बनजारी ये…….
काल पड़े भजियो नहीं रे ,
कियो ने हरी सु हेत।
अब पछताये होसी क्या ,
जब चिड़िया चुग गई खेत।
बाता थारी रह जासी।
बनजारी ये…….
बाळद थारे नद नहीं रे ,
सांड लग गयो धार।
रामानंद रा बन कबीरा ,
तू बेथ मोटा पाठ।
बाता थारी रह जासी।
बनजारी ये…….
बिनजारी हस हस बोल बाता थारी रह जासी भजन लिरिक्स binjari has has bol bata thari re jasi neeta nayak bhajan