।। दोहा ।।
कदली सीप भुजंग मुख , एक स्वाति गुण तीन ।
जैसी संगत बैठिये , वैसो ही फल दीन ।
भाव राखजो भगती ,
थांरी वेला नाम सूं ही मुक्ति ।
ए साधु सदा आनन्द भेळा ,
क्या करे जम नेड़ा ।
म्हारा सतगुरु मिलिया पागी ,
म्हारी सुरत सुन्दरी जागी ।
म्हारो मनडो भयो वैरागी ,
म्हारे सुकमण कूची लागी ।
भाव राखजो । ….
तीन पाँच से न्यारा ,
वे ही हरि ने प्यारा ।
हाले खड़ग री धारा ,
उणे देख्या दीदारा ।
भाव राखजो । ….
निज नाम ने रटिया ,
काळ देखने डटिया ।
रंग पाँचों रा मिटिया ,
करम भरम सब कटिया ॥
भाव राखजो । ….
नदी समुन्दर एका ,
मिटिया दिलरा धोखा ।
गुरु मिळिया अनोखा ,
इण नजरों सूं देख्या ॥
भाव राखजो । ….
लोट पोट एक सारा ,
वठे नहीं चन्दा नहीं तारा ।
वो रूप वरण से न्यारा ,
अचरज खेल अपारा ॥
भाव राखजो । ….
नहीं दिवलो नहीं बाती ,
नहीं दिवस नहीं राती ।
यूं गावे बगसो खाती ,
वो अमरापुर रो वासी ॥
भाव राखजो । ….
shyam paliwal ke bhajan Video
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भजन :- भाव राखजो भगती
गायक :- श्याम पालीवाल