।। दोहा ।।
बोली एक अनमोल है, जो कोई बोल जानि,
हिये तराजू तौलि के, तब मुख बाहर आनि।
ले हाथ ढाल तलवार ,
मुठ मजबूती।
धर दे चामुंडा ,
राजपूतो में मजबूती। २
मुगलो की फौज,
मेवाड़ देश चढ़ आई । २
गढ़ गेर लिया चित्तोड़ ,
घटा सु छाई।
मुगलो की जिसने,
दे डाली आहुति। २
धर दे चामुंडा ,
राजपूतो में मजबूती।
हल्दी घाटी में जो ,
तलवार चलाई। २
गीतामा हो तुम्हारी ,
जगदम्बा मन माई।
स्वाहुवा गोर कम ,
साणी चड़िबा रोका। २
बिजली ज्यू चमके ,
तेज खनक बा लागी।
इण मारवाड़ में बलियारी ,
आ धरती सूरा वीरा री।
एक समय में,
पृथ्वीराज खांडा खड़काया।
आखियो से अँधा ,
फिर भी बाण चलाया।
अब सुणलो धरकर ध्यान ,
सुनाऊ कहानी।
ओ धरती पर किना ,
नाम झांसी की रानी।
अब याद हमें,
महाराज की आती है।
आखियो से नदिया ,
नीर धीर बहती है।
सारा पेहली,
मात मनाऊ आजा।
सुते सेरो को ,
फिर से आन जगा जा।
भक्ति मंडल ,
प्रस्तुति करता तेरी।
तुम सहाय करो ,
जगदम्बा मात माई।
ले हाथ ढाल तलवार लावणी le hath dhal talwar bhajan, kaluram bikhraniya bhajan