।। दोहा ।।
सत्संगत घर घर नहीं ,नहीं घर घर गणराज।
सिंहन का टोला नहीं ,नहीं चन्दन बाग़।
संत सदा सुख धारा साधु भाई ,
संत सदा सुख धारा हो जी।
उलटी धारा जो नर चाले ,
उलट मरे वे गिवारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
मोटा खांडा ने मोटा ना कहिये ,
नीच खांडा री धारा हो जी।
मन अभिमानी रो शीश काटियो ,
गुरु मुख ज्ञान री धारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
रण मैदान में शुर नर खेले ,
हाथ लिया तलवारा हो जी।
दाव गुरूजी रो जो नर सीखे ,
माथा लावे नरा रा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
सतगुरु शरणे जो नर जावे ,
कदे न लेवे अवतारा हो जी।
पांच पचीस ने वे नर जीते ,
नाम सु दिखे न्यारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
सतगुरु म्हाने पूरा मिलिया ,
खोल्या भरम रा भारा हो जी।
भीमपुरी भाण भीतर उग्यो ,
आठो पहर उजियारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
संत सदा सुख धारा साधु भाई ,
संत सदा सुख धारा हो जी।
उलटी धारा जो नर चाले ,
उलट मरे वे गिवारा।
साधु भाई ,संत सदा सुख धारा हो जी।
prakash mali ke bhajan Music video Song
संत सदा सुख धारा साधु रे भाई भजन, sant sada sukh dhara guru ji bhajan lyrics in hindi
सतगुरु जी के भजन हिंदी में
भजन :- संत सदा सुख धारा
गायक :- प्रकाश माली