शरण में आ पड़ा तेरी,
प्रभु मुझको भुलाना ना।।
तेरा है नाम दुनिया में,
पतित पावन सभी जाने,
देखकर दोष को मेरे,
नज़र मुझसे हटाना ना।।
काल की है नदी भारी,
बहा जाता हूँ धारा में,
पकड़ लो हाथ अब मेरा,
नाथ देरी लगाना ना।।
भगत तेरे है बहुतेरे,
करे सुमिरण सदा मन में,
जानकर दास दासन का,
मुझे उनसे छुड़ाना ना।।
तेरा है रूप अविनाशी,
जगत सारे में है पूरण,
वो ‘ब्रम्हानंद’ नैनन से,
मेरे कबहुँ छिपाना ना।।
शरण में आ पड़ा तेरी,
प्रभु मुझको भुलाना ना।।
स्वर – सुधांशु जी महाराज।
तर्ज – दशा मुझ दीन की।
Sudhanshu Ji Maharaj | Bhajan | Sharan Me Aa Pda Teri
Sudhanshu Ji Maharaj