ऊँची चढ़ाई लखबीर सिंह लख्खा जी भजन लिरिक्स

ऊँची चढ़ाई
फिल्मी तर्ज भजन = लंबी जुदाई

श्लोक
है रेहमत तेरी माँ
पल पल बरसे
जाए नही खाली
कभी सवाली दर से।

हुई है सदा ही मेरी मात सहाई
ऊंची चढ़ाई
आया जो चढ़के
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई
ऊंची चढ़ाई
तिरकुट पर्वत पर बसे महामाई
ऊंची चढ़ाई ऊंची चढ़ाई।।

सर्दी हो गर्मी चाहे बारिश का मौसम
रुकते नही है आगे बढ़ते कदम
जय जयकार पुरे रस्ते देती सुनाई
द्वार मैया के आया जो चढ़के
ऊंची चढ़ाई ऊंची चढ़ाई।।

आते है दूर दूर से नाम दिवाने
सबके दिलो की इक्छा मैया ही जाने
आशा की पूरी नही देर लगाई
आया जो चढ़के
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई
ऊंची चढ़ाई ऊंची चढ़ाई।।

भाग सँवर गए माँ की कृपा से
खुशियो से झोली भरी सब दुःख नाशे
चरणों की धूलि जो माथे लगाई
आया जो चढ़के
द्वार मैया के ये ऊँची चढ़ाई
ऊंची चढ़ाई ऊंची चढ़ाई।।

हुई है सदा ही मेरी मात
सहाई
ऊंची चढ़ाई
आया जो चढ़के
द्वार मैया के ये ऊंची चढ़ाई
ऊंची चढ़ाई
तिरकुट पर्वत पर बसे महामाई
ऊंची चढ़ाई ऊंची चढ़ाई।।

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