जयपुर से लाई मैं तो चुनरी रंगवाई के लख्खा जी भजन लिरिक्स

जयपुर से लाई मैं तो
चुनरी रंगवाई के
गोटा किनारी अपने
हाथो लगवाई के
मैया को ओढ़ाउंगी
द्वारे पे जाइके।।

चंदा की किरणों से
सूरज की लाली से
नीले समंदर से
वन की हरियाली से
रंग मांगे चुनरी खातिर
कुदरत मतवाली से
दुनिया की नजरो से
रखी बचाई के
मैया को ओढ़ाउंगी
द्वारे पे जाइके।।

रिमझिम फुहारों की जब
सावन रुत आएगी
सखियों संग झूला झूलने
मैया जब जाएगी
झूले संग आसमान में
चुनरी लहराइयेगी
रह जाये इंद्रधनुष के
रंग शरमाइके
मैया को ओढ़ाउंगी
द्वारे पे जाइके।।

मैया के मन भाएगी
चुनरी निराली ये
मुश्किल घडी में होगी
मेरी रखवाली ये
चुनरी के रंग में लख्खा
जिंदगी रंगवाली ये
चुनरी में मात सरल को
रखना छुपाईके
मैया को ओढ़ाउंगी
द्वारे पे जाइके।।

जयपुर से लाई मैं तो
चुनरी रंगवाई के
गोटा किनारी अपने
हाथो लगवाई के
मैया को ओढ़ाउंगी
द्वारे पे जाइके।।

Bhajan Lyrics in Hindi with Video

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