लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को
पर मेरी ही मैया क्यों बारी ना आई
नौराते लौट के लो फिर आ गए
पर कोई भी खबर तुम्हारी ना आई
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को।।
फिल्मी तर्ज भजन = लिखे जो खत तुझे।
पहाड़ों में तू रहती है
गुफाओं में तेरा डेरा
मैं निर्धन हूँ तू दाती है
ध्यान करले तू माँ मेरा
भटक ना जाऊँ राहों में
करो माँ दूर अंधेरा
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को।।
तू ही कमला तू ही काली
तू ही अंबे माँ वरदानी
तू ही माँ शारदे दुर्गा
तू ही माँ शिव की पटरानी
तेरे माँ रूप लाखों हैं
करें तू सबकी रखवाली
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को।।
मेरी आंखों के दो आंसू
नहीं तुझको नजर आए
खुली है इस कदर आंखें
ना जाने कब माँ आ जाए
करो ना माँ और देरी
कहीं ये जान निकल जाए
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को।।
सहारे आपके मैया
फलक के चांद तारे है
लगाया पार माँ सबको
खड़े हम इस किनारे हैं
तेरे बिन ‘पाल’ ने मैया
ये दिन रो रो गुजारे है
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को।।
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को
पर मेरी ही मैया क्यों बारी ना आई
नौराते लौट के लो फिर आ गए
पर कोई भी खबर तुम्हारी ना आई
लिखे माँ चिट्ठियां तू सारे जग को।।
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