जैसे राम जी के संवारे,
तुमने ओ अंजनी के लाला,
वैसे मेरे भी काज संवारो,
मेरे बजरंगी जी बाला।।
लेने को सिया की खबरिया,
गए तुम सहस्र योजन,
क्यों नहीं जाना तुमने,
मेरे हृदय का प्रयोजन।।
तिरा कर पत्थर तुमने,
तारन हार को तारा,
मैं भी तो हूं भंवर में,
काहे मुझे बिसारा।।
लाके संजीवनी तुमने,
प्राण लखन के थे बचाए,
लौटाई सुधि थी उनकी,
क्यों दी मेरी गए भुलाए।।
राम जी के अति प्यारे,
तुम सिया जी के दुलारे,
हृदय में हैं बसते,
जगत पालक तुम्हारे।।
मुझे भी दर्श करा दो,
राजीव को भी दर्शन करा दो,
छवि मोहक जो है प्यारी,
दर्श राम जी के करा दो,
संग हों जानकी जनक दुलारी।।
कट जाएं सारे संकट,
मिट जाए सारी पीरा,
आपकी कृपा से,
संकट मोचक बल बीरा।।