हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को,
पता लगाने को, सिया का पता लगाने को,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को।।
जंगल ढूंढे पर्वत ढूंढे,
अरे वाने लियो समुन्दर लांघ, सिया का पता लगाने को,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को।।
सारी लंका घूम के देखि देखे महल अटारी,
और विभीषण की कुटिया से राम नाम धुन आई,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को।।
ब्राह्मण को वाने भेष बनाया गले में माला डाली,
राम नाम का जाप वो कर रहे गए विभीषण द्वार,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को ।।
कहा से तो तुम आयो हो ब्राह्मण क्या है तुम्हारा नाम,
साची बात बताओ हमको क्या है तुम्हरो काम,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को।।
हनुमत को वाने बेष बनाया बोले जय श्री राम,
सीता माँ का पता लगाना ये ही हमारा काम,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को।।
काहे को तूने लंका ढुंडी काहे को महल अटारी,
एक अशोक वाटिका जामें बैठी सीता नारी,
हनुमत लियो राम को नाम सिया का पता लगाने को।।