बाला मैं बैरागन हूंगी – २ जिन भेषा मेरो साहब रीझे
बाला मैं बैरागन हूंगी – २ जिन भेषा मेरो साहब रीझे सोहि भेष धरूंगी बाला मैं बैरागन हूंगी कहो तो कुसुमल साड़ी रंगावा कहो तो भगवा भेष कहो तो मोतियन मांग भरावा कहो छिटकावा केश बाला मैं बैरागन हूंगी प्राण हमारा वह बसत है यहाँ तो खाली खोड़ मात पिता परिवार सहूँ है कही ये …