धुन – मेरी छम – छम बाजे पायलिया …..
राधा संग झूले सावरियां ।
श्यामा संग झूले सावरियां ।
छबि देख भयो मन बावरिया ।।
महके मधुवन में सरस, चमेली ।
चम्पा केतकी खश, मोगरे की कली ।
झूला ऐसा सजा, मन को भाने लगा ।
युगल जोड़ी पे, मन भायो बावरिया ।।
दे रही झोटा सखियाँ, सहेली सभी ।
पुष्प बरसा रहे, देवता भी सभी ।
रिमझिम मेहा बरसे, नभ में बादल गरजे ।
बाजे मोहन की प्यारी बासुरियाँ ।।
महीना सावन में उनके सिंगार हुये ।
नैना झूलन निरखि मतवारे हुए ।
झूले कुंजन में वो, मेरे तन मन में वो ।
भाई मन को मेरे सखी सूरतिया ।।
मेरे जीवन के प्यारे सहारे है वो ।
मेरी नैया के खेबन हारे है वो ।
बृज का बास दो, अब इस दास को ।
जाऊ चरणन पर, न्योछाबरिया ।।