श्री कृष्ण भजन – मेरी लगी श्याम संग प्रीत – Radha Krishna Bhajan
Radha Krishna Bhajan
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
छवि लगी मन श्याम की जब से
भई बावरी मैं तो तब से
बाँधी प्रेम की डोर मोहन से
नाता तोड़ा मैंने जग से
ये कैसी पागल प्रीत ये दुनिया क्या जाने
ये कैसी निगोड़ी प्रीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
मोहन की सुन्दर सूरतिया
मन में बस गयी मोहनी मूरतिया
जब से ओढ़ी शाम चुनरिया
लोग कहे मैं भई बावरिया
मैंने छोड़ी जग की रीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
हर दम अब तो रहूँ मस्तानी
लोक लाज दीनी बिसरानी
रूप राशि अंग अंग समानी
हे रत हे रत रहूँ दीवानी
मई तो गाऊँ ख़ुशी के गीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
मोहन ने ऐसी बंसी बजायी
सब ने अपनी सुध बिसरायी
गोप गोपिया भागी आई
लोक लाज कुछ काम न आई
फिर बाज उठा संगीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
भूल गयी कही आना जाना
जग सारा लागे बेगाना
अब तो केवल शाम सुहाना
रूठ जाये तो उन्हें मनाना
अब होगी प्यार की जीत ये दुनिया क्या जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
हम प्रेम नगर की बंजारन
जप तप और साधन क्या जाने
हम शाम के नाम की दीवानी
नित नेम के बंधन क्या जाने
हम बृज की भोली गंवारनिया
ब्रह्म ज्ञान की उलझन क्या जाने
ये प्रेम की बाते है उद्धव
कोई क्या समझे कोई क्या जाने
मेरे और मोहन की बातें
या मै जानू या वो जाने
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
शाम तन शाम मन शाम हैं हमारो धन
आठो याम पूछो हमें शाम ही सो काम हैं
शाम हिये शाम पिए शाम बिन नाही जिए
आंधें की सी लाकडी आधार शाम नाम है
शाम गति शाम मति शाम ही हैं प्राणपति
शाम सुख दायी सो भलाई आठो याम हैं
उद्धव तुम भये बवरे पाथी ले के आये दोड़े
हम योग कहा राखे यहाँ रोम रोम शाम है
क्या जाने कोई क्या जाने
मेरी लगी श्याम संग प्रीत ये दुनिया क्या जाने
मुझे मिल गया मन का मीत ये दुनिया क्या जाने
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