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सुन घर सेर सेर घर बस्ती भजन | sun gar ser ser gar basti bhajan lyrics

सुन घर सेर सेर घर बस्ती sun gar ser ser gar basti देसी मारवाड़ी भजन dhanraj joshi ke bhajan
rajasthani desi bhajan lyrics

सुन घर सेर सेर घर बस्ती

सुन घर सेर सेर घर बस्ती ,
कुण सुत्ता कुण जागा है।
लाल हमारा हम लालन का ,
तन सुता भ्रम जागा है।

जल बीच कमल कमल बीच कलीया ,
भवर वासना लेता जी।
पाचो चेला फीर है अकेला ,
अलग अलग वो करता जी।
सुण घर …..

जीवत जोगी माया जोड़ी ,
मरीया माया माणी जी।
खोजया खबर पडे घट बींतर ,
छोगा राम की वाणी है।
सुण घर …..

तप्त कुंड पर तपसी तापे ,
तपसी तपस्या करता है।
साथ लंगोटा कुछ नही रकता ,
लम्बी माला जपता है।
सुण घर …..

जल का मन का पार नही पाया ,
सवा हाथ का धागा है।
तीन लोग का वस्त्र परीया ,
तो ही निर्जन नागी है।
सुण घर …..

एकू अप्सरा आगे उबी ,
दुजी सुरमो सार है।
तीजी अप्सरा सहज बीचावे ,
परणी नहीं कवारी है।
सुण घर …..

परणीया पहली पुत्र जन्मीया ,
मात पीता मन भाया है।
रामा नन्द जी का बणीया कबीरा ,
एक अखंडी काया है।
सुण घर …..


BHAJAN
rajasthani desi bhajan lyrics in English

sun gar ser ser gar basti

sun gar ser ser gar basti ,
kun sutta kun jaaga hai.
laal hamaara ham laalan ka ,
tan suta bhram jaaga hai.

jal bich kamal kamal bich kaliya ,
bhavar vaasana leta jee.
paacho chela pheer hai akela ,
alag alag vo karata jee.
sun ghar …..

jeevat jogee maaya jodee ,
mareeya maaya maanee jee.
khojaya khabar pade ghat bintar ,
chhoga raam kee vaanee hai.
sun ghar …..

tapt kund par tapasee taape ,
tapasee tapasya karata hai.
sath langota kuchh nahi rakata ,
lambee maala japata hai.
sun ghar …..

jal ka man ka par nahi paaya ,
sava haath ka dhaaga hai.
teen log ka vastr pareeya ,
to hee nirjan naagee hai.
sun ghar …..

ekoo apsara aage ubee ,
dujee suramo saar hai.
teejee apsara sahaj beechaave ,
paranee nahin kavaaree hai.
sun ghar …..

paraniya pahali putr janmiya ,
maat peeta man bhaaya hai.
rama nand ji ka baniya kabira ,
ek akhandee kaaya hai.
sun ghar …..


BHAJAN
देसी मारवाड़ी भजन hindi lyrics

सुन घर सेर सेर घर बस्ती

सुन घर सेर सेर घर बस्ती ,कुण सुत्ता कुण जागा है।
लाल हमारा हम लालन का ,तन सुता भ्रम जागा है।

जल बीच कमल कमल बीच कलीया ,भवर वासना लेता जी।
पाचो चेला फीर है अकेला ,अलग अलग वो करता जी।
सुण घर …..

जीवत जोगी माया जोड़ी ,मरीया माया माणी जी।
खोजया खबर पडे घट बींतर ,छोगा राम की वाणी है।
सुण घर …..

तप्त कुंड पर तपसी तापे ,तपसी तपस्या करता है।
साथ लंगोटा कुछ नही रकता ,लम्बी माला जपता है।
सुण घर …..

जल का मन का पार नही पाया ,सवा हाथ का धागा है।
तीन लोग का वस्त्र परीया ,तो ही निर्जन नागी है।
सुण घर …..

एकू अप्सरा आगे उबी ,दुजी सुरमो सार है।
तीजी अप्सरा सहज बीचावे ,परणी नहीं कवारी है।
सुण घर …..

परणीया पहली पुत्र जन्मीया ,मात पीता मन भाया है।
रामा नन्द जी का बणीया कबीरा ,एक अखंडी काया है।
सुण घर …..


dhanraj joshi ke bhajan

| धनराज जोशी के भजन

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Bhajan / Geet(भजन ) == सुन घर सेर सेर घर बस्ती
Bhajan Singer/गायक = धनराज जोशी
Bhajan Lyrics Type = भजन Lyrics

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