यह चाँद की न रात है घोर काली रात है
यह चाँद की न रात है घोर काली रात है,
देखो रे, देखो रे गौरां, कौन लाया यह बारात है।
1. भस्मी अंग रमाये है, यह जटा भी बिखराये है,
देखो रे, देखो रे गौरां, संग सर्पों का फेरा है।
2. मुण्डों की माला है – डमरू निराला है,
देखो रे, देखो रे गौरां, कैसा दूल्हा तेरा आया है।
3. यह जोगी अलबेला है, मस्तों का टोला है।
देखो रे, देखो रे गौरां, यह तो साधु भोला भाला है।
क्या पेश करूँ सद्गुरु
क्या पेश करूँ सद्गुरु, कोई चीज़ नहीं है
दिल ही मेरा ले लो, तजवीज़ यही है |
1. औक़ात है क्या मेरी, तू शाहों का है शाह
मैं अदना सा इक आशिक़, तू मालिक है मेरा
महिमा तेरी क्या गाऊँ, अलफ़ाज़ नहीं है |
2. घायल किया जहान ने, तू मरहम लगाता रहा
समझा न कृपा तेरी, मैं भटकता रहा
आख़िर हूँ दर पे आया, तो चली पेश नहीं है |
3. मन मेरा पागल, करता रहा जुदा
समझा न ज्ञान तेरा, हुई मुझसे ये ख़ता
नज़र-ए-करम कर दो, फ़रियाद यही है |
जाना पिया के देस
जाना पिया के देस।
1. पिया का देस बड़ा रंगीला, जावेगा कोई छैल छबीला,
आना तोरे देस।
2. पिय पिय की मैं रटन लगायी, पी के नाम की चुनर रंगायी,
पाना तेरा मैं भेस।
3. जिया को राहत आवेगी तब, पिया जी के चरणों की धूलि मिले जब,
माना जग परदेस।
Jana piya ke des
Jana piya ke des
1. Piya ka des bada rangeela, jaavega koi chhail chhabila
Aana tore des
2. Piya piya ki main rattan lagayi, pi ke naam ki chunar rangayi
Paana tera main bhes
3. Jiya ko raahat avegi tab, piya ji ke charno ki dhuli mile jab
Mana jag pardes
हर हर हर हर शिव शम्भो
हर हर हर हर शिव शम्भो।
भोलानाथ कृपालु दयामय औघड़दानी शिव योगी।
हर हर शम्भो, हर हर शम्भो।
1. निमिष मात्र में देते हैं
नवनिधि मनमानी शिव योगी।
सरल हृदय अति करुणासागर
अकथ कहानी शिव योगी ।।
2. भक्तों पर सर्वस्व लुटाकर बने मसानी शिव योगी
स्वयं अकिंचन जन मन रंजन पर शिव उदार हरे ।।
पार्वती हर हर शम्भो पाहि पाहि दातार हरे।
शिव शम्भो, शिव शम्भो।
3. आशुतोष इस मोह माई निद्रा से मुझे जगा देना।
विश्व वेदना से विषयों की, मायाधीश छुड़ा देना ।
रूप सुधा की एक बूँद से जीवन मुक्त बना देना।
दिव्य ज्ञान भण्डार युगल चरण की लगन लगा देना।
शिव शम्भो, शिव शम्भो।
4. दानी हो तुम भिक्षा दे दो
अपनी अनुपायिनी भक्ति दे दो।
एक बार इस मन मंदिर में दाता अपना दर्शन दे दो
शिव शम्भो, शिव शम्भो।
गुरुजी म्हारा हिवड़ा में अगन लगी
गुरुजी म्हारा हिवड़ा में अगन लगी।
जब ते तेरा दर्शन किया,
दुनिया से मेरी इक न बनी।
1. दाता की किरपा जो मुझ पर हुई,
दर तेरे ते आन खलोई।
पाया दर्शन मन हुआ शीतल, आनंद भई।
2. सुनकर ज्ञान तेरा वो सतगुरु,
समझ पड़ी अब जागी सतगुरु।
जग है मिथ्या तू ही है सच, समझ पड़ी
3. मनवा मेरा शीतल हुआ,
आप की समझ पड़ी निश्चल हुआ।
आत्मा परमात्मा की समझ पड़ी।
तेरे दरस को हम आये तेरी कृपा को हम पायें
तेरे दरस को हम आये,
तेरी कृपा को हम पायें|
1. यह जीवन सौंप दिया गुरुदेव आपको ही,
मेरे जीवन के खिवैया, बस पार लगा तू ही,
इक आस रखी मन में, जीवन यह संभल जाये|
2. मन मेरा चंचल है, मेरी बात नहीं सुनता,
मैं लाख करूँ यत्न, सत्पथ पर नहीं चलता,
बस आस तुझसे ही, मेरा मन संभल जाये|
3. मेरी प्रार्थना है एक यही, मन मेरे में बस जाओ,
संसार में न भटकूं, निज अाप में रम जाऊं,
बस आस यही दिल में है, मैं तुझ में समा जाऊं
आज शून्य है, आज शून्य है सब ओर।
आज शून्य है,
आज शून्य है सब ओर।
1. अंतर की गहराई में,
बाहर की तराई में,
पत्थर की ठोसता में,
साक्षी की होशता में।
2. आकाश की नीलता,
जल की शीलता,
पृथ्वी की ज़रीता में,
मेरी कविता में।
3. सवाल पूछूँ नहीं,
जवाब चाहूं नहीं,
सब कुछ ठहरा हुआ है
मन में आकाश सा।
4. जंगल सा सन्नाटा है,
कोई आता न जाता है,
मन अपने में समाता,
न बंधु न भ्राता है।
Aaj Shoonya hai
Aaj shoonya hai,
Aaj shoonya hai sab or
Antar ki gehraayi mein
Baahar ki taraayi mein
Patthar ki thosta mein
Sakshi ki hoshta mein
Aakash ki neelta
Jal ki sheelta
Prithvi ki zarita mein
Meri kavita mein
Sawaal poochun nahin
Jawaab chaahun nahin
Sab kuch thehra hua hai
Mann mein aakash sa
Jungle sa sannata hai
Koi aata na jaata hai
Mann apne mein samaata
Na bandhu hai na bhraata hai