सुकरत फूल गुलाब रो मारी हेली भजन लिरिक्स
, Sukarat Phool Gulab Ro Mari Heli Bhajan Lyrics rajasthani heli bhajan lyrics
सुकरत फुल गुलाब रो
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,
सब घट रयो रे समाय।
कहो रे संतो कैसे पावसा म्हारी हेली ,
गुरु बिन लखियो न जाय।
तीन तिरवेणी रे उपरे म्हारी हेली ,
फलियों है सोहम फूल।
वठे धरम रो है बेसणो म्हारी हेली ,
निज अंतर गया भूल।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,
सब घट रयो रे समाय। टेर। …
चार योजन रे उपरे म्हारी हेली ,
पुरुष वैदेही भरपूर।
जुगत मुगत उण देश में म्हारी हेली ,
अनहद बाजे तुर।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,
सब घट रयो रे समाय। टेर। …
अमर कोठे खम्भ ही खड़ी म्हारी हेली ,
उभी गुरा रे दरबार।
खिड़की खोली जद जोवियो म्हारी हेली ,
राह अगम घर जाय।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,
सब घट रयो रे समाय। टेर। …
ओ ही हंसो उण देश रो म्हारी हेली ,
नहीं आवे नहीं जाय।
केवे कबीरसा धर्मिदास ने म्हारी हेली ,
निज गुण देऊ लखाय।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,
सब घट रयो रे समाय। टेर। …
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rajasthani heli bhajan lyrics
Sukarat Phool Gulab Ro
sukrat ful gulab ro mhari heli,
sab ghat rayo re samay.
kaho re santo kaise pavsa mhari heli,
guru bin lakhiyo n jay.
teen tirveni re upre mhari heli,
faliyo hai soham ful.
vathe dharam ro hai besano mhari heli,
nij antar gaya bhul.
sukrat ful gulab ro mhari heli,
sab ghat rayo re samay.
char yojan re upre mhari heli,
purush vedehi bharpur.
jugat mugat un desh me mhari heli,
anahad baje tur.
sukrat ful gulab ro mhari heli,
sab ghat rayo re samay.
amar kothe khambh hi khadi mhari heli,
ubhi gura re darbar.
khidki kholi jad joviyo mhari heli,
rah agam ghar jaay.
sukrat ful gulab ro mhari heli,
sab ghat rayo re samay.
O hi hanso un desh ro mhari heli,
nhi aave nhi jaay.
keve kabirsa dharmidas ne mhari heli,
nij gun deu lakhay.
sukrat ful gulab ro mhari heli,
sab ghat rayo re samay.
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सुकरत फूल गुलाब रो
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,सब घट रयो रे समाय।
कहो रे संतो कैसे पावसा म्हारी हेली ,गुरु बिन लखियो न जाय।
तीन तिरवेणी रे उपरे म्हारी हेली ,फलियों है सोहम फूल।
वठे धरम रो है बेसणो म्हारी हेली ,निज अंतर गया भूल।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,सब घट रयो रे समाय। टेर। …
चार योजन रे उपरे म्हारी हेली ,पुरुष वैदेही भरपूर।
जुगत मुगत उण देश में म्हारी हेली ,अनहद बाजे तुर।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,सब घट रयो रे समाय। टेर। …
अमर कोठे खम्भ ही खड़ी म्हारी हेली ,उभी गुरा रे दरबार।
खिड़की खोली जद जोवियो म्हारी हेली ,राह अगम घर जाय।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,सब घट रयो रे समाय। टेर। …
ओ ही हंसो उण देश रो म्हारी हेली ,नहीं आवे नहीं जाय।
केवे कबीरसा धर्मिदास ने म्हारी हेली ,निज गुण देऊ लखाय।
सुकरत फूल गुलाब रो म्हारी हेली ,सब घट रयो रे समाय। टेर। …
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कृष्ण लाल जी भजन
Bhajan / Geet(भजन ) == सुकरत फुल गुलाब रो
Bhajan Singer/गायक = कृष्ण लाल जी
Bhajan Lyrics Type = भजन Lyrics