।। दोहा ।।
राम किसी को मारे नहीं ,ना हथियारा राम।
अपने आप मर जावसी ,कर कर खोटा काम।।
राम नाम का सुमरण करले ,
फेर प्रेम की माला।
उसका दुश्मन क्या कर सकता ,
जिसका राम रुखाळा रे।
हिरणाकुश पेलाद भक्त का ,
जानी दुश्मन बन के रे।
जल्लादो को हुक्म दे दिया ,
फांसी दो दुश्मन को रे।
बांद पोट पर्वत से पटकिया ,
चोट लगी ना तन के रे।
गोदी में ले बैठी होलिका ,
बैठी बिच अगन में रे।
खम्भ फाड् पेलाद बचाया ,
मर गया मारण वाला रे।
उसका दुश्मन। ……
खाश पिता की गोदी में रे ,
बेठ्या दुर अवतारी रे।
हाथ पकड़ कर मौसी ने पटक्या ,
मुख पर थप्पड़ मारी रे।
उपग्या ज्ञान भजन में लाग्या ,
आगे की वो सुध धारी रे।
राम नाम का जाप बताया ,
नारद जी तप धारी रे।
लाखो वर्ष तपस्या करके ,
किया जगत उजियाला रे।
उसका दुश्मन। ……
भरी सभा में दुष्ट दुस्साशन ,
चाल्या खूब अकड़ के रे।
बुरे हाथ से ध्रुपद सुधा को ,
लाया केश पकड़ के रे।
नग़न करण का मत्ता किया वो ,
पकड़ चीर बेधके रे।
खेचत खेचत अंत नहीं आया ,
मर गया पेट पकड़ के रे।
कुरुक्षत्र की हुइ लड़ाई ,
भरिया खून का नाला रे।
उसका दुश्मन। ……
काम क्रोध माया में बसे जद ,
जग में ना आराम मिले।
दुविधा में फस जावे जिव जब ,
नहीं माया नहीं राम मिले।
दे विश्वास दगा कर डाले ,
कभी नहीं घनश्याम मिले।
कपट भंद छल धोके से नहीं ,
स्वर्गपूरी का वास मिले।
हरी नारायण शर्मा कहता ,
भगवान भक्त का रखवाला।
उसका दुश्मन। ……
राम नाम का सुमरण करले ,
फेर प्रेम की माला।
उसका दुश्मन क्या कर सकता ,
जिसका राम रुखाळा।
उसका दुश्मन क्या कर सकता जिसका राम रखवाला भजन uska dushman kya kar sakta jiska ram rukhala anil nagori bhajan Lyrics