।। दोहा ।।
पारख कीजे साध की ,और साध ही परखे कौन।
गगन मंडल में घर करे ,और अनहद रखे मोन।
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे ।
घट घट मै तेरे साईं बसत है,
कटुक बचन मत बोल रे ।
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे ।
धन जोबन का गरब ना कीजे,
झूठा इन का मोल ।
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे ।
जाग यतन से रंग महल में,
पिया पायो अनमोल ।
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे ।
सूने मंदिर, दिया जला के,
आसन से मत डोल ।
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे ।
कहत ‘कबीर’ सुनो भाई साधों,
अनहद बाजत ढोल ।
घूँघट के पट खोल रे,
तोहे पिया मिलेंगे ।
prahlad tipaniya ke bhajan video
घूंघट के पट खोल रे भजन, ghunghat ke pat khol re bhajan lyrics, kabir bhajan lyrics in hindi
कबीर भजन संग्रह पुस्तक
भजन :- घूंघट के पट खोल
गायक :- प्रहलाद टिपानिया
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