।। दोहा ।।
जो में ऐड़ो जाणती के प्रीत किया दुःख होय।
नजर ढिंढोरी पीटती , प्रीत न करियो कोय।।
जिवडो तरसे नैना बरसे ,
हाल हुआ बेहाल।
सावण आयो ,
आयो नन्दलाल।
संग री सहेल्या म्हारी ,
झूले बगियन में।
दे दे मधुरी ताल ,
सावण आयो , आयो नन्दलाल।
रिमझिम रिमझिम ,
मेहा बरसे।
लग रही मोह उर साल ,
सावण आयो , आयो नन्दलाल।
कारी कारी रैण ,
बिजुरिया चमके।
उठे बदन में झाल ,
सावण आयो , आयो नन्दलाल।
बरसी रे बरसी, बरखा बरसी ,
सावण बिन बरसी।
जीणने ढूंढे म्हारा नैण ,
वा नी आया सरसी ।
सावण आयो , आयो नन्दलाल।
दादुर मोर पपैया बोले ,
कोयल करे कृपाल।
बागा री कलियाँ फूटी ,
अब तो आय संभाल।
कर जोड़त ओ रामनिवास बोले ,
सुन ले श्री गोपाल।
सावण आयो , आयो नन्दलाल।