।। दोहा ।।
कबीरा सोया क्या करे , उठने भजे नी भगवान ।
जम जब घर ले जायेंगे , पड़ी रहेगी म्यान ।
घर रा देवलिया में घोर अंधेरो ,
पछे पर घर दिवला क्यूं जोवे ।
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलो क्यूं खोवे ॥
घर रो सोगरो सेक नहीं जाणे ,
पर घर फलका क्यूं पोवे ।
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलो क्यूं खोवे ॥
घर रा देवळिया में समंद भरिया है ,
नाडा में कपड़ा क्यूं धोवे ।
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलों क्यूं खोवे ॥
घर रा देवळिया में बाग बगीचा ,
पर घर फुलडा क्यूं जोवे ।
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलो क्यूं खोवे ॥
मंदिर जायने पूजे गोगा जी ,
पछे घर आवे जद क्यूं रोवे ।
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलो क्यूं खोवे ॥
घर में थारे लड़े उन्दरिया ,
पर घर पड़ौसी रे काँई जोवे ॥
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलो क्यूं खोवे ॥
कहत कबीर सुणो रे भाई संतों !
हिरलां में मोती संत पोवे ।
सुण म्हारी सुरता अजब कामणी ,
भजन बिन हिरलो क्यूं खोवे ।।
prakash mali bhajan rajasthani Video
भजन :- सुण म्हारी सुरता अजब कामणी
गायक :- प्रकाश माली
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