मन रे ! अंत गरब मत कीजे भजन लिरिक्स

मन रे ! अंत गरब मत कीजे भजन लिरिक्स
, Man Re Ant Garab Mat Kije Bhajan Lyrics rajasthani nirguni bhajan

अंत गरब मत कीजे

आया ने आदर दीजे ,
नमस्कार निव कीजे।
इण बातो सु सायब राजी ,
आछा गुण धारिजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। …

दया भाव राखिजे ,
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

वैर बुराई ए छोड़ ईर्ष्या ,
सत संगत नित कीजे।
ईश्वर सब घट विराजे ,
ए बाता लख लीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

गुण रो हीण होवे जुग माहि ,
उण से जग नहीं धीजे।
गुण सागर धारण कर लेवे ,
दरश किया दुःख सीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

मात पिता री सेवा कीजे ,
जग में आप सरीजे।
पावो लोक परलोक भलाई,
वैकुण्ठा में वास वसीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

आठो पहर हरि गुण गावो ,
हरि चरण चित दीजे।
दास दोल री आ है विनती ,
तार विलम्ब मत कीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

============

rajasthani nirguni bhajan lyrics

Man Re Ant Garab Mat Kije

aaya ne aadar dije,
namaskar niv kije.
in bato su sayab raji,
aacha gun dharije.
man re ! ant garab mat kije.

daya bhav rakhije,
man re ! ant garab mat kije.

vair burai e chod irshya,
sat sangat nit kije.
ishwar sab ghat viraje,
e bata lakh lije.
man re ! ant garab mat kije.

gun ro hin hove jug mahi,
un se jag nhi dhije.
gun sagar dharan kar leve,
darash kiya dukh sije.
man re ! ant garab mat kije.

mat pita ri seva kije,
jag me aap sarije.
pavo lok parlok bhalai,
vekuntha me vas vasije.
man re ! ant garab mat kije.

aatho pahar hri gun gavo,
hari charan chit dije.
das dol ri aa hai vinti.
tar vilamb mat kije.
man re ! ant garab mat kije.

============

राजस्थानी निर्गुणी भजन लिरिक्स

मन रे ! अंत गरब मत कीजे

आया ने आदर दीजे ,नमस्कार निव कीजे।
इण बातो सु सायब राजी ,आछा गुण धारिजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

दया भाव राखिजे ,मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

वैर बुराई ए छोड़ ईर्ष्या ,सत संगत नित कीजे।
ईश्वर सब घट विराजे ,ए बाता लख लीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

गुण रो हीण होवे जुग माहि ,उण से जग नहीं धीजे।
गुण सागर धारण कर लेवे ,दरश किया दुःख सीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

मात पिता री सेवा कीजे ,जग में आप सरीजे।
पावो लोक परलोक भलाई,वैकुण्ठा में वास वसीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

आठो पहर हरि गुण गावो ,हरि चरण चित दीजे।
दास दोल री आ है विनती ,तार विलम्ब मत कीजे।
मन रे ! अंत गरब मत कीजे। टेर। ….

============

जगदीश बामनिया भजन

Bhajan / Geet(भजन ) == अंत गरब मत कीजे
Bhajan Singer/गायक = जगदीश बामनिया
Bhajan Lyrics Type = भजन Lyrics

Leave a Comment