मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे माँ
नहीं कोई अंबे माँ मेरी जगदंबे माँ
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे मां।।
मैंने जाने अनजाने जो पाप किए
तूने बच्चा समझ कर माफ किए
काया ममता की गंगा में धोई अंबे मां
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे मां।।
मन मंदिर में तू ही बसाए रखी
तेरी भक्ति की ज्योति जलाए रखी
मैं तो तेरी लगन में खोई अंबे मां
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे मां।।
मैं तो सखियों में बैठ तेरी कथा कहूं
तेरी कृपा हो मुझ पर मैं शरण रहूं
तेरी करती हूं तैयार रसोई अंबे मां
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे मां।।
सब कहते हैं दुनिया आस पे टिकी
मैया मैं तो बस तेरे विश्वास पे टिकी
हाय दुख देख में तो रोई अंबे मां
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे मां।।
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे माँ
नहीं कोई अंबे माँ मेरी जगदंबे माँ
मेरा तेरे सिवा नहीं कोई अंबे मां।।
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