नाम लेते बन जाते है सारे बिगड़े काम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान
मन में सूरत राम की और मुख में राम का नाम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान।।
बाल रूप में रवि को निगले घोर अँधेरा छाया,
देव लोक में सब गबराए कुछ भी समज न आया
इंद्र के वज्रा को सेहन किये तब नाम पड़ा हनुमान
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान।।
सारी सेना थक के हारी मसी तक पता लगाये
भोर से पेहले लागी संजीवनी लखन के प्राण बचाए
कर न सके तीनो लोक में कोई ऐसे किये है काम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान।।
इक दिन था दरबार लगा उस दिन का खेल निराला
हनुमान को मात सिया ने दी मोतियाँ की माला
मिथिया लागी बजरंग को उस में न थे राम
ऐसे बजरंगी हनुमान मेरे बाला जी हनुमान।।
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