धुन – रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर

कुंजन वन में झूला परयो है, टेरत नंद किशोर ।
टेरत नंद किशोर राधिका, टेरत नंद किशोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..
डगर बुहारत पीताम्बर सौं, प्रीतम नंद किशोर ।
डगर बुहारत थक रही अँखियाँ, जियरा उठत हिलोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..
तुम बिन कुंज न नीको लागे, मोर करे न शोर ।
हे वृषभानु सुते श्री राधे, आ जाओ इस ठौर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..
बैठी निज महलां में राधे, टेर सूनी निज पौर ।
सब सखियन संग दौड़ी आई, बंधी प्रेम की डोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..
दे गल बैयाँ झूले दोउ, राधा नंद किशोर ।
कुंजन कोयल कूकन लागी, नाचन लागे मोर ।।

रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..
सब भगतन पर कृपा करो दोऊ, रसिकन के चितचोर ।
चरणन प्रीत बढे दिन दूनी, दास विनय कर जोर ।।
रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर…..

 धुन – रिमझिम रिमझिम बरखा बरसे छाई घटा घनघोर

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