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धुन – सावन का महीना पवन करे शोर

धुन – सावन का महीना पवन करे शोर

कुंजन डरयो हिंडोरना, राधा रानी सरकार ।
तोरी बाट निहारते, प्यारे कृष्ण मुरार ।।

फूल रही फुलवारी, चम्पा चमेली प्यारी ।
जूही चमेली महके, शोभा है जग से न्यारी ।
वंशी धुन में टेरे, तोहे प्यारी भानु दुलार ।।

बरसे बदरिया कारी, छाय रही हरियाली ।
रिमझिम पड़े फुहारे, कूके कोयलिया कारी ।
डगर बुहारे पीताम्बर सौं, प्रीतम नन्द कुमार ।।

विनय सूनी नटवर की, खिल गयी मन की क्यारी ।
कर सिंगार है अपना, आई भानु दुलारी ।
छम छम पैंजनी बाजे, पायल की झंकार ।।

झूले दोऊ झूला, राधा और वनबारी ।
झोटा देवे सखियाँ, गावे राग मल्हारी ।
शोभा निकी लागे, दास जाय बलिहारी ।।

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