गुरु कितना दे उपदेश मूरख थारे एक नहीं लागे भजन लिरिक्स

गुरु कितना दे उपदेश मूरख थारे एक नहीं लागे भजन लिरिक्स
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गुरु कितना दे उपदेश

गुरु कितना दे उपदेश ,
मूरख थारे एक नहीं लागे।
एक नहीं लागे रे मूरख थारे ,
एक नहीं लागे।
गुरु कितना दे उपदेश ,
मूरख थारे एक नहीं लागे।

सूखा लकड़ा ने घणो घणो पियो ,
नहीं पान फूल लागे।
इण कागला ने घणो बणायो ,
तरहा तरहा बोले।
गुरु कितना दे उपदेश ,
मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….

इण कायर रे बांध्यो सेंवरो ,
करियो फौज रे आगे।
भाला री आ अणि देखने ,
दुरो दुरो भागे।
गुरु कितना दे उपदेश ,
मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….

इण नुगरा ने ज्ञान बतायो ,
नहीं ज्ञान ध्यान लागे।
अमल ने तो घणो घोलियो ,
तो भी जहर आवे।
गुरु कितना दे उपदेश ,
मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….

रामानंद गुरु पूरा मिलिया ,
अकरा भरम भागे।
हे कबीर सुणो भाई साधु ,
मेरा देश आगे।
गुरु कितना दे उपदेश ,
मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….


nirguni bhajan lyrics in hindi

guru kitna de updesh

guru kitna de updesh,
murakh thare ek nhi lage.
ek nhi lage re murakh thare,
ek nhi lage .
guru kitna de updesh,
murakh thare ek nhi lage.

sukh lakada ne ghano ghano piyo,
nhi pan ful lage.
en kagla ne ghano banayo,
taraha taraha bole.
guru kitna de updesh,
murakh thare ek nhi lage.

en kayar re bandhyo senvero,
kariyo foj re aage.
bhala ri aa ani dekhne,
duro duro bhage.
guru kitna de updesh,
murakh thare ek nhi lage.

en nugra ne gyan batayo,
nhi gyan dhwan lage.
amal ne to ghano gholiyo,
to bhi jahar aave.
guru kitna de updesh,
murakh thare ek nhi lage.

ramanand guru pura miliya,
akra bharam bhage.
kahe kabir suno bhai sadhu,
mera desh aage.
guru kitna de updesh,
murakh thare ek nhi lage.


निर्गुणी भजन तंबूरा राजस्थानी

गुरु कितना दे उपदेश

गुरु कितना दे उपदेश ,मूरख थारे एक नहीं लागे।
एक नहीं लागे रे मूरख थारे ,एक नहीं लागे।
गुरु कितना दे उपदेश ,मूरख थारे एक नहीं लागे।

सूखा लकड़ा ने घणो घणो पियो ,नहीं पान फूल लागे।
इण कागला ने घणो बणायो ,तरहा तरहा बोले।
गुरु कितना दे उपदेश ,मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….

इण कायर रे बांध्यो सेंवरो ,करियो फौज रे आगे।
भाला री आ अणि देखने ,दुरो दुरो भागे।
गुरु कितना दे उपदेश ,मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….

इण नुगरा ने ज्ञान बतायो ,नहीं ज्ञान ध्यान लागे।
अमल ने तो घणो घोलियो ,तो भी जहर आवे।
गुरु कितना दे उपदेश ,मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….

रामानंद गुरु पूरा मिलिया ,अकरा भरम भागे।
कहे कबीर सुणो भाई साधु ,मेरा देश आगे।
गुरु कितना दे उपदेश ,मूरख थारे एक नहीं लागे। टेर। ….


prahlad tipaniya ke bhajan

Bhajan / Geet(भजन ) == गुरु कितना दे उपदेश
Bhajan Singer/गायक = प्रहलाद टिपानिया
Bhajan Lyrics Type = भजन Lyrics

https://youtu.be/wfESkzxcomA

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