मैं तो पुरबिया पूरब देश रो मारी हेली भजन लिरिक्स

मैं तो पुरबिया पूरब देश रो मारी हेली भजन लिरिक्स
, Me to purabiyo purav desh ro heli bhajan lyrics

में तो पुरबियों पूरब देश रो

में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,
बोली रे लखे कोय।
जो म्हारी बोली लखे म्हारी हेली ,
भाग पुरबला होय।

म्हारी मरम रा साधु ना मिल्यो म्हारी हेली ,
किन संग करू में सनेह।
म्हारी मण्डली रो हरी जन ना मिल्यो म्हारी हेली ,
किन संग करू में सनेह।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,
बोली रे लखे कोय। टेर। ….

साधु होया तो क्या हुआ म्हारी हेली ,
चहु दिश फैली नहीं वास।
हिरदा में बीज कपट भरियो म्हारी हेली ,
करे है उगन री आस।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,
बोली रे लखे कोय। टेर। ….

के तो तिल कोरा भला म्हारी हेली ,
के लीजो तेल कढ़ाय।
अध् बिचली कूलर बुरी म्हारी हेली ,
दोनु बिन सु जाय।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,
बोली रे लखे कोय। टेर। ….

कड़वा पानी री कड़वी बोलडी म्हारी हेली ,
फल ज्या रा कड़वा होय।
ज्या री कडवाई जद मिटे म्हारी हेली ,
बेल बीछेवा होय।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,
बोली रे लखे कोय। टेर। ….

दव लागी बेली जली म्हारी हेली ,
कोई होयो बिच रो नाश।
केवे कबीर सा धर्मिदास ने म्हारी हेली ,
नहीं उगन री आस।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,
बोली रे लखे कोय। टेर। ….

heli bhajan lyrics in hindi

Me to purabiyo purav desh ro

me to purabiyo purab desh ro mhari heli,
boli re lakhe koy.
jo mhari boli lakhe mhari heli,
bhag purabala hoy.

mhari maram ra sadhu na milyo mhari heli,
kin sang karu me saneh.
mhari mandali ro hari jan na milyo mhari heli,
kin sang karu me saneh.
me to purabiyo purab desh ro mhari heli,
boli re lakhe koy.

sadhu hoya to kya hua mhari heli,
chahu dish feli nhi vas.
hirda me bich kapat bhariyo mhari heli,
kare hai ugan ri aas.
me to purabiyo purab desh ro mhari heli,
boli re lakhe koy.

ke to til kora bhala mhari heli,
ke lijo tel kadhay.
adh bichli kular buri mhari heli,
donu bin su jay.
me to purabiyo purab desh ro mhari heli,
boli re lakhe koy.

kadva pani ri kadvi boldi mhari heli,
fal jya ra kadava hoy.
jya ri kadvai jad mite mhari heli,
bel bichheva hoy.
me to purabiyo purab desh ro mhari heli,
boli re lakhe koy.

dav lagi beli jali mhari heli,
koi hoyo bich ro nash.
keve kabir sa dharmidas ne mhari heli,
nhi ugan ri aas.
me to purabiyo purab desh ro mhari heli,
boli re lakhe koy.

हेली मारी भजन लिरिक्स

मैं तो पुरबिया पूरब देश रो

में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,बोली रे लखे कोय।
जो म्हारी बोली लखे म्हारी हेली ,भाग पुरबला होय।

म्हारी मरम रा साधु ना मिल्यो म्हारी हेली ,किन संग करू में सनेह।
म्हारी मण्डली रो हरी जन ना मिल्यो म्हारी हेली ,किन संग करू में सनेह।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,बोली रे लखे कोय। टेर। ….

साधु होया तो क्या हुआ म्हारी हेली ,चहु दिश फैली नहीं वास।
हिरदा में बीज कपट भरियो म्हारी हेली ,करे है उगन री आस।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,बोली रे लखे कोय। टेर। ….

के तो तिल कोरा भला म्हारी हेली ,के लीजो तेल कढ़ाय।
अध् बिचली कूलर बुरी म्हारी हेली ,दोनु बिन सु जाय।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,बोली रे लखे कोय। टेर। ….

कड़वा पानी री कड़वी बोलडी म्हारी हेली ,फल ज्या रा कड़वा होय।
ज्या री कडवाई जद मिटे म्हारी हेली ,बेल बीछेवा होय।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,बोली रे लखे कोय। टेर। ….

दव लागी बेली जली म्हारी हेली ,कोई होयो बिच रो नाश।
केवे कबीर सा धर्मिदास ने म्हारी हेली ,नहीं उगन री आस।
में तो पुरबियों पूरब देश रो म्हारी हेली ,बोली रे लखे कोय। टेर। ….

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anil nagori ke bhajan

Bhajan / Geet(भजन ) == में तो पुरबियों पूरब देश रो
Bhajan Singer/गायक = अनिल नागौरी
Bhajan Lyrics Type = भजन Lyrics

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