Gurumaa ke Latest Bhajans Lyrics
इक जोगी अलख जगाये
इक जोगी अलख जगाये इक जोगी, नाम प्रभु का गाये रे।
सुन लो सुन लो दुनिया वालो सच्ची राह बताये रे।।
1. जग में आ के जागो रे प्राणी, मोह ममता में न खोना,
शुभ कर्मों में लागो रे प्राणी, कभी यह अवसर न खोना,
सच्ची राह दिखाये रे।
2. साँझ-सवेरे राम जो बोले, अंतर पावन होये रे,
भव सागर से पार तरे वो, उसको कौन डुबोये रे,
सबको यह समझाये रे।
3. कोई विकार तुझे न छुये, तू रहना अविकारी,
जल में जैसे कमल रहे, तू बन वैसा संसारी,
शरण होये चित लाये रे।
Ek Jogi Alakh Jagaaye
“Ek jogi alakh jagaaye ek jogi, naam prabhu ka gaaye re
Sun lo sun lo duniya waalo sacchi raah bataye re
Jag mein aake jaago re prani, moh mamta mein na khona
Shubh karmon mein laago re prani, kabhi yeh avsar na khona
Sacchi raah dikhaye re
Saanjh-savere raam jo bole, antar paavan hoye re
Bhav saagar se paar tare wo, usko kaun duboye re
sabko yeh samjhaye re
Koi vikaar tujhe na chhuye, tu rehna avikaari
Jal mein jaise kamal rahe, tu ban vaisa sansaari
Sharan hoye chit laaye re”
मेरे मन दी सुनो अरदास
ਮੇਰੇ ਮਨ ਦੀ ਸੁਣੋ ਅਰਦਾਸ ।
ਮਨ ਨਾ ਡੋਲੇ, ਬਸ ਏਹੀ ਬੋਲੇ, ਹਰ ਪਲ ਵਿਚ ਹੈ ਅਰਦਾਸ ।
1. ਚਿੱਤ ਘਬਰਾਏ, ਸਮਝ ਨਾ ਆਏ,
ਮਨ ਮੇਰਾ ਮੈਨੂੰ ਉਲਝਾਏ।
ਮੈਂ ਵੱਲ ਤੇਰੇ ਤੱਕਦੀ, ਆਸ ਇਹ ਰੱਖਦੀ,
ਮੇਹਰ ਕਰੀਂ ਓ ਮੇਰੇ ਮਹਾਰਾਜ।
2. ਤੇਰਾ ਸਹਾਰਾ, ਤੂੰ ਸਾਈਂ ਪਿਆਰਾ,
ਰੱਖੀਂ ਚਰਣਾ ਦੇ ਕੋਲ।
ਕੇ ਪਿਆਰ ਤੇਰਾ, ਹੈ ਜੀਵਨ ਮੇਰਾ,
ਆਪਣਾ ਜਾਣ ਤੂੰ ਸੀਨੇ ਲਾਇਆ।
3. ਮੇਹਰਾਂ ਦਾ ਸਾਯਾ, ਤੇਰਾ ਨਾਮ ਧਿਆਯਾ,
ਅੰਗ ਸੰਗ ਮੇਰੇ ਸਦਾ ਸਮਾਇਆ।
ਹੈ ਸਬ ਕੁਝ ਤੇਰਾ, ਕੁਝ ਨਹੀਂ ਮੇਰਾ,
ਹਰ ਸਾਹ ਵਿੱਚ ਹੈ ਅਰਦਾਸ।
ज़रा परदा हटा के
ज़रा परदा हटा के देख ले सब से आला मैं।
मैं तो सतचित् आनन्द रूप हूँ पूर्ण लाला मैं।
1. यह जो आता नज़र नज़ारा है, सब मेरा खेल पसारा है।
मुझसे प्रकाश यह सारा है, देखन वाला मैं।।
2. मेरी ही सारी माया है, मुझ चेतन ही की छाया है।
मेरा भेद किसी ने न पाया है, बेहद वाला मैं।
3. सपने में मैं ही अकेला हूँ, सब खेल वहाँ मैं खेला हूँ।
सब रोनक मेला मेरा है, परखन वाला मैं।।
4. सब जिस्म पाक लहू वाले ने, गंद मंद दे भरे प्याले ने।
सब नाड़ीयां गोप ग्वाले ने, विच नंद लाला मैं।।
5. सब जग को मैं ही बनाता हूँ, चन्द सूरज मैं ही चढ़ाता हूँ।
क्यों चक्कर फिर मैं खाता हूँ, भोला भाला मैं।।
Zara Parda Hata Ke
Zara parda hata ke dekh le sab se aala main
Main to satchit anand roop hun pooran lala main
Yeh jo aata nazar nazaara hai, sab mera khel pasaara hai
Mujhse prakash yeh saara hai, dekhan wala main
Meri hi saari maya hai, mujh chetan ki hi chhaya hai
Mera bhed kisi ne na paaya hai, behad wala main
Sapne mein main hi akela hun, sab khel wahan main khela hun
Sab raunak mela mera hai, parkhan wala main
Sab jism paak lahu wale ne, gand mand de bhare pyale ne
Sab naadiyan gop gavaale ne, vich nand lala main
Sab jag ko main hi banata hun, chand suraj main hi chadhata hun,
Kyon chakkar fir main khaata hun, bhola bhala main
मन न डोले बस एही बोले, हर पल विच है अरदास
मन न डोले बस एही बोले
हर पल विच है अरदास।
1. चित्त घबराये, समझ न आये,
मन मेरा मैनूं उलझाए।
मैं वल तेरे तकदी, आस ए रखदी,
मेहर करीं ओ मेरे महाराज।
2. तेरा सहारा तू साईं प्यारा,
रखीं चरणां दे कोल।
के प्यार तेरा, है जीवन मेरा
मेहर करीं ओ मेरे महाराज।
3. मेहराँ दा साया, तेरा नाम ध्याया,
अंग संग मेरे सदा समाया।
है सब कुझ तेरा, मैं वी तेरा
हर साह विच है अरदास।
तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे
तेरे मन में राम, तन में राम, रोम रोम में राम रे।
राम सुमिर ले, ध्यान लगा ले, छोड़ जगत के काम रे।
बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम-राम-राम।
1. माया में तू उलझा-उलझा, दर दर धूल उड़ाये,
अब क्यों करता मन भारी जब, माया साथ छुड़ाये,
दिन तो बीता दौड़ धूप में, ढल जाये ना शाम रे।
2. तन के भीतर पांच लुटेरे, डाल रहे हैं डेरा,
काम क्रोध मद लोभ मोह ने, तुझको कैसा घेरा,
भूल गया तू राम रटन, भूला पूजा का काम रे।
3. बचपन बीता खेल-खेल में, भरी जवानी सोया,
देख बुढ़ापा अब तो सोचे, क्या पाया क्या खोया,
देर नहीं है अब भी बन्दे, ले-ले उसका नाम रे।
सुनी बंसरी तेरी तो भेद खुला तू और नहीं मैं और नहीं
सुनी बंसरी तेरी तो भेद खुला, तू और नहीं मैं और नहीं ।
सोऽहं की तो निकले आवाज़ सदा, तू और नहीं मैं और नहीं ।।
1. सातों स्वरों में जो बोले हवा, वो तो पूरण तेरा रूप ही था।
क्या मीठे सुरों का वो सुर था , तू और नहीं मैं और नहीं ।।
2. किया प्रेम में अपना आप तबाह, तेरी चाक रही फिर एक बता।
तू मुझसे न मैं हूँ तुझसे जुदा, तू और नहीं मैं और नहीं ।।
3. तेरे प्रेम में दिल को जला बैठा, सब अपना आप भुला बैठा।
हुई दूर दुई तो मैं बोल उठा, तू और नहीं मैं और नहीं ।।
4. गंगा से एक जो लहर उठी, बैठी तो वो ये गाने लगी।
जल का मैं तो एक रूप ही था, तू और नहीं मैं और नहीं ।।
5. तेरे प्रेम का रंग चढ़ा दिल पर, न रहा दिल में किसी का भी डर।
तद्रूप होकर गाने लगा, तू और नहीं मैं और नहीं ।।