।। दोहा ।।
कौन जगत में एक है ,ओर कौन जगत दोह।
कौन जगत में हस रहा ,ओर कौन जग में रोय।।
धर्म को डर नहीं दुनिया रे माँय ,
धणियाँ बिना तो आज सूनी फिरे गाय ।
कटवाने चाली आज काना थारी गाय ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ।।
समुद्र मंथन काम धेनु प्रगटाय ,
तन में तैतीस कोटी देवता समाय ।
गो से गोपाळ नाम सांवरो कहाय ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ।।
गोबर भी शुद्ध यज्ञ आंगणो लिपाय ,
मूत्र भी पवित्र सर्व मंगला कहाय ।
दर्शन करता ही पाप मिट जाए ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ।।
दूध है पवित्र सारा देवता नहाय ,
पंच गव्य रोगों ने तो जड़ सूं मिटाय ।
अनमोल हीरो आज कचरा में जाय ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ॥
भोळी – भाली सूरत में ममता समाय ,
शक्ति स्वरूप गौ माता कहलाए ।।
सेवा बिना वैतरणी पार कैसे पाय ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ॥
पति मर्या पाछे नारी विधवा हो जाए ,
बारहवा को ढोल बाजे गौ दरसाय ॥
गो नी मिले तो दीजो कूतरो दिखाय ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ।।
टोळा का टोळा ने आगे घेरया जाय ,
गाय का श्राप सूं लंका लगी लाय ।
ओंकारो घर घर जाय समझाय ,
सुणो – सुणो म्हारा सांवरा कुण करे सहाय ।।