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उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि भजन लिरिक्स

उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि भजन लिरिक्स

हाथो में लेके सोटा बंधे है लाल लंगोटा,
हाथो में लेके सोटा बंधे है लाल लंगोटा,
उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि,
नदिया पर्वत को छोड़ा एक एक दानव को फोड़ा,
उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि।।

पहुंचे पहाड़ खोज जड़ी की लगा रहे,
मिली नहीं पायी बूटी बलि घबरा रहे,
चप्पे रोशनी है करे झिलमिल है,
संजीवन बूटी मिल पाना मुश्किल है,
बजरंग मन में घबराये कैसे संजीवन पाए,
साहये करो रघु राये पुकारे तुम्हे वीर बलि,
उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि।।

सोच रहे खड़े कैसे पता मैं लगाऊंगा,
आज रात बीती कैसे लखन बचाऊंगा,
लिया राम नाम पर्वत को उठाया है,
सूरज उगने से पहले रामा दाल में आया है,
कैसे मैं समाय गवाता रघुवर को क्या बतलाता,
मुझको समझ यही आयी कथन कहे वीर बलि,
उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि।।

दूत कहे देखो हनुमान आ रहे है,
उठा के पर्वत ही सारा साथ ला रहे है,
ख़ुशी छायी सेना बोली जय जय बजरंग बलि,
मस्त होकर नाचे सभी साथी और संगी,
लेकर संजीवन घोला उतरी लक्ष्मण के हाला,
जागे सुमित्रा के लाला नाचे है बजरंग बलि,
जागे सुमित्रा के लाला नाचे है बजरंग बलि।।

हाथो में लेके सोटा बंधे है लाल लंगोटा,
हाथो में लेके सोटा बंधे है लाल लंगोटा,
उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि,
नदिया पर्वत को छोड़ा एक एक दानव को फोड़ा,
उड़ चले मार फर्राटा पवन सूत वीर बलि।।

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