।। दोहा ।।
पर्वत जैसी पीर है ,ह्रदय बहुत अकुलाय।
राधा राधा जपत है ,विरही मन मुरझाय।
एक तेरा भरोसा है ,
एक तेरा सहारा है।
हर बार संभालोगे ,
विश्वास हमारा है।
एक तेरा भरोसा है ,
एक तेरा सहारा हैं।
हैं दूर सफर मेरा ,
मंज़िल ना ठिकाना है।
मंझधार में सोच रहा ,
बस तेरा दीवाना है।
तुम मेरा किनारा हो ,
आधार तुम्हारा है।
हर बार संभालोगे ,
विश्वास हमारा है।
एक तेरा …..
हर और ज़माने में ,
मतलब का ही नाता है।
बिन मतलब के यारी ,
यहाँ कौन निभाता है।
हमको याद तेरा आये ,
हम तुझको बहरा है।
हर बार संभालोगे ,
विश्वास हमारा है।
एक तेरा …..
हैं पीर हिर्दय में और ,
आँखों में तरल होगा।
पूछूंगा कन्हैया से ,
कब जीवन सरल होगा।
हर विपदा में तुमने ,
प्रभु आय संवारा है।
हर बार संभालोगे ,
विश्वास हमारा है।
एक तेरा …..
दिलदार कन्हैया से ,
जो नेह लगा बैठे।
डूबे या संवर जाए ,
इसमें है लगा बैठे।
अब भी सिवा तेरे ,
देखु क्या नजारा में।
हर बार संभालोगे ,
विश्वास हमारा है।
एक तेरा भरोसा है ,
एक तेरा सहारा है।
हर बार संभालोगे ,
विश्वास हमारा है।
एक तेरा भरोसा है ,
एक तेरा सहारा हैं।
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