।। दोहा ।।
माँ दुर्गा सुखदायिनी ,जग की पालनहार।
पूजो माँ को नौ दिवस, कर देगी उद्धार।
कभी फुर्सत हो तो जगदम्बे,
निर्धन के घर भी आ जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें ,
कभी उस का भोग लगा जाना।
ना छत्र बना सका सोने का,
ना चुनरी घर मेरे टारों जड़ी।
ना पेडे बर्फी मेवा है माँ,
बस श्रद्धा है नैन बिछाए खड़ी।
इस श्रद्धा की रख लो लाज हे माँ,
इस विनती को ना ठुकरा जाना |
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना।
जिस घर के दिए मे तेल नहीं,
वहां जोत जगाओं कैसे।
मेरा खुद ही बिशोना धरती पर ,
तेरी चोंकी लगाऊं कैसे।
जहाँ मै बैठा वही बैठ के माँ,
बच्चों का दिल बहला जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें ,
कभी उस का भोग लगा जाना।
तू भाग्य बनाने वाली है,
माँ मै तकदीर का मारा हूँ।
हे दाती संभाल भिखारी को,
आखिर तेरी आँख का तारा हूँ।
मै दोषी तू निर्दोष है माँ,
मेरे दोषों को तूं भुला जाना।
जो रूखा सूखा दिया हमें,
कभी उस का भोग लगा जाना।
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कभी फुर्सत हो तो जगदंबे भजन kabhi fursat ho to jagdambe mata ji bhajan lyrics in hindi
जगदंबा भजन लिरिक्स in hindi निर्धन के घर भी आ जाना
भजन :- निर्धन के घर भी आ जाना
गायक :- गुलशन कुमार